मरीज़ों को कोरोना टेस्ट के लिए मजबूर नही कर सकते अस्पताल- केंद्र सरकार

मरीज़ों को कोरोना टेस्ट के लिए मजबूर नही कर सकते अस्पताल- केंद्र सरकार

केंद्र सरकार की तरफ से प्राइवेट अस्पतालों को ये निर्देश दिए गए है, इस संकट की घड़ी में ये खबर आम आदमी के लिए बेहद राहत वाली साबित हो सकती है बता दें कि टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक अनुसार केंद्र सरकार ने कहा है कि अस्पताल किसी मरीज़ को इलाज के लिए भर्ती करने से पहले कोरोना संक्रमण टेस्ट के लिए मजबूर नहीं कर सकते. केंद्र ने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि देश में प्राइवेट अस्पताल अपना काम जारी रखें और लोगों को भर्ती करने से पहले उन्हें कोविड-19 टेस्ट करवाने या उसकी निगेटिव रिपोर्ट लाने के लिए मजबूर न करें.

क्या है पूरा मामला

दरअसल वायरस की इस दौर में देश के अलग-अलग राज्यों से ये खबर आ रही थी कि प्राइवेट अस्पताल बीमार मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करने से पहले या तो उन्हें कोरोना संक्रमण टेस्ट के लिए मजबूर कर रहे हैं या फिर उनसे निगेटिव रिपोर्ट लाने के लिए कह रहे हैं. कई अस्पतालों के गंभीर रूप से बीमार लोगों को वापस लौटाने की ख़बरें भी आई थीं. इतना ही नहीं, संक्रमण के दौर और लॉकडाउन के बाद से कई प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी सेवाएं देनी भी बंद कर दी हैं. इससे कैंसर और टीबी जैसी गंभीर रूप से बीमार अन्य मरीज़ों को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहा केंद्र ने

इन सभी समस्याओं के मद्देनज़र केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को पत्र लिखा है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि केंद्र सरकार को ऐसी रिपोर्ट्स मिली हैं कि कई प्राइवेट अस्पताल मरीज़ों को डायलिसिस, कीमोथेरेपी और ब्लड ट्रांसफ़्यूज़न जैसी ज़रूरी सेवाएं देने से कतरा रहे हैं.”सभी मरीज़ों को ज़रूरी इलाज और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए, ख़ासकर प्राइवेट अस्पतालों में.” उन्होंने कहा, “मरीज़ों को भर्ती करने से पहले स्वास्थ्यकर्मी अपनी सुरक्षा के लिए ज़रूरी उपाय बेशक़ अपनाएं मगर मरीज़ों को कोविड-19 के टेस्ट के लिए या निगेटिव रिपोर्ट लाने के मजबूर नहीं किया जा सकता.”

 

 

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