परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी: पेट्रोल के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि… – समर अनार्य

परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी: पेट्रोल के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि पिछली सरकारों ने आयात आधारित ऊर्जा नीति बदली ही नहीं, देश में तेल खोजने और अन्य स्रोतों की तलाश की कोशिश नहीं की.

बाकी भारत पेट्रोल और डीजल का नेट निर्यातक है- दरअसल भारत का सबसे बड़ा निर्यात तेल का ही है! 2019 में 441 बिलियन यूएस डॉलर का निर्यात किया था, भारत के कुल निर्यात का 13.7% हिस्सा।  

शुक्र है कि सीधे नेहरू जी को ज़िम्मेदार न बता दिया! बाकी तथ्य देख लें: 

1. भारत खुद कई देशों को तेल निर्यात करता है – यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका तक को. 

नेपाल की तो पूरी खपत ही भारत ही पूरी करता है. (2015 की नाकाबंदी- माने मधेश पहाड़ी झगड़े के आंतरिक मामले में भारत के बाहरी हस्तक्षेप के बाद नेपाल तेजी से चीजें बदल रहा है- उम्मीद करें कि ये बना रहा!) 

दाम लेता है करीब 34 रुपया लीटर। यही असल दाम है जो भारतीयों से भी लेना चाहिए। बाहर इस दाम पर बेचेगा तो कोई खरीदेगा नहीं, पर हम तो ठहरे भारतीय। 

बाक़ी भारत वालों से जो लेता है वह सरकार जी का टैक्स है- खून का व्यापार था, माफ़ करें, खून में व्यापर है!  इसीलिए पेट्रोल और डीजल को जीएसटी से बाहर रखे हैं! 

2. भारत तेल का निर्यात कैसे करता है?

ऐसे कि नेहरू जी दूरदर्शी और विद्वान थे. अंग्रेजों, मुगलों, आदि मानवों, पर ग्रहियों, युगांडा, होनोलुलु आदि को दोष देने की जगह काम करने में विश्वास रखते थे.  उनको पता था कि नए नए आज़ाद हुए देश को ऊर्जा की बहुत ज़रूरत पड़ने वाली है. विकास का रास्ता उधर से ही जायेगा। तब इकोलॉजी संकट आदि का पता नहीं था, होता तो भी आज ही कौन से देश ने कम कर दिया है. 

सो बावजूद इसके कि भारत की पहली तेल रिफाइनरी 1893 में ही स्थापित हो गई थी, आज़ादी के तुरंत बाद नेहरू जी ने कई और आयल रिफाइनरी ललगवानी शुरू कीं. इरादे दो- एक तो देश तेल के शुद्धीकरण में आत्मनिर्भर हो जाय. दूसरा कि वह इस रिफाइंड आयल को दूसरे देशों को बेच कमाई भी करे जो विकास में लगाईं जाय. 

आज़ादी के तुरंत बाद तेल रिफाइनरी सब निजी हाथ में थीं- 1954-1958 तक नेहरू जी ने विशाखापत्तनम और ट्रॉम्बे में लगवाईं। 

1956 में ही उन्होंने आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन की भी स्थापना की, उसके कर्मचारियों को यूरोप आदि देशों में अध्ययन के लिए भेजा। 

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https://youtu.be/tpJ31aa_g2E

– समर अनार्य

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