- आठ महीने बीत जाने के बाद भी नहीं हुआ है कोई खुलासा
- कौन था मास्टरमाइंड इसका भी पता नहीं
- तीन दिन में बदले गए थे SIT के तीन हेड
भोपाल से गौतम कुमार की रिपोर्ट
व्यापम घोटाले के बाद हनी ट्रैप केस एक ऐसा मामला था जिसने राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इन दोनों ही केस को दबा दिया गया और अब जब चुनाव आने वाले हैं तो कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर इस मुद्दे पर आमने सामने हैं। जहां भाजपा का कहना है कि यह ब्लैकमेलिंग का केस था और अधिकारियों के नाम सामने आने के बाद कांग्रेस ने सही से काम नहीं किया। अधिकारियों का शोषण हो रहा था और सरकार केस घुमा रही थी। वहीं कांग्रेस का कहना है व्यापम की तरह भाजपा सरकार इस केस को भी दबा देगी।
तीन दिन में तीन SIT हेड
केस के दौरान ही कई SIT अफसरों के लगातार तबादले कर दिए गए थे। यहां तक की SIT चीफ भी लगातार 3 दिन बदले गए थे। यानि कि साफ है कि इस मामले में किसी बड़े नेता और अधिकारियों का हाथ था। यहां तक कि इस मामले में IAS और IPS लॉबी के कई अफसर आपस में भीड़ गए थे।यही नहीं SIT के हेड और कांग्रेस के बीच बार-बार ऐसे महौल बनाये गए की दोनों में दिक्कतें बढ़े। जिसके बाद दो लोगों को SIT हेड के पद से लगातार दो दिनों में हटा दिया गया था।
एक अफसर औऱ नेता का वीडियो हुआ था वायरल
इस मामले में दो सनसनीखेज विडियो वायरल हुए थे। एक वीडियो पूर्व मुख्यमंत्री का है तो एक अन्य हिंदूवादी संगठन के नेता के करीबी का बताया जा रहा था। वायरल हो रहे वीडियो में पूर्व मुख्यमंत्री को एक काफी कम उम्र की युवती के साथ अंतरंग संबंध स्थापित करते हुए दिखाया गया था। हम इस विडियो की पुष्टि नहीं करते हैं। एक अन्य वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उम्रदराज व्यक्ति एक युवती के साथ नजर आ रहा था। यह व्यक्ति हिंदूवादी संगठन के एक बड़े पदाधिकारी का करीबी बताया जा रहा था।
दोनों पार्टियां दे रही हैं गोलमोल जवाब
जब कांग्रेस नेता से पूछा गया कि क्या वे लोग इस सब में शामिल थे जो कभी आपके मंत्रिमंडल का हिस्सा थे और अब दूसरी पार्टी में हैं। इस सवाल को पूर्व मंत्री ओंकार मरकाम और कांग्रेस नेता टाल गये और बोले मेरे जवाब से जांच प्रभावित हो सकते हैं। वहीं भाजपा के ऊपर आरोप है कि उनके आने के बाद कोरोना वायरस के नाम पर उन अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया जो इस मुद्दे की जांच कर रहे थे। पर भाजपा का कहना है कि जिनके कार्यकाल में तीन SIT हेड तीन दिन में बदल दिए गए उनसे ये सवाल किया जाना चाहिए।
ऐसे खुला था मामला
17 सितंबर को मध्यप्रदेश के इंदौर जिला नगर निगम में कार्यरत इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में खुद को ब्लैकमेल किए जाने की एफआईआर दर्ज कराई थी तो उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि यह मामला इतना बड़ा बन सकता है। एफआईआर में हरभजन सिंह ने दावा किया था कि उन्हें 29 वर्षीय आरती दयाल नाम की एक महिला द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था। उक्त महिला ने तीन करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की थी और रकम न चुकाने पर इंजीनियर के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी गई थी।
पुलिस ने जब जांच शुरू की तब पता चला कि एक गैर सरकारी संगठन ने कथित तौर पर राजनेताओं, नौकरशाहों और कई बड़े रसूखदारों को ब्लैकमेल करने के लिए उनके अश्लील वीडियो बनाए हैं। जिन्हें सार्वजनिक करने की धमकियों के एवज में जबरन वसूली की जाती थी।
बहरहाल 8 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इस मामले का मास्टरमाइंड कौन था। इस मामले में कई अफसरों का भी नाम आया था जिनका भी अभी तक कोई खुलासा नहीं हुआ है। साफ है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों का इस मुद्दे कल लेकर रवैया ठीक नहीं है। आने वाले समय में उपचुनाव होने हैं। दोनों ही पार्टियों को डर है कि नाम खुले तो तो उन्हें नुकसान हो सकता है। यही हाल अधिकारियों का साथ भी है।