केवल आश्वासन से कब तक पेट भरेंगे अतिथि विद्वान? आखिर कब सुनेगी सरकार
भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :- प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के ग्वालियर में रविवार को आरोग्य धाम हास्पिटल के कार्यक्रम के दौरान अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डाॅ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने फाॅलेन आउट अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेने और पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान अतिथि विद्वानों के लिए नियमितीकरण का जो पक्ष वर्तमान भाजपा सरकार ने लिया था, उसके संबंध में चर्चा की और एक ज्ञापन भी दिया। जिस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आश्वासन देकर कहा कि, अतिथि विद्वानों की नियमितीकरण नीति पर काम चल रहा है।
लेकिन इन्हें इस तरह के आश्वासन कई बार मिल चुके हैं। अतिथि विद्वान हर जगह सीएम और उनके मंत्रियों के द्वार पर दस्तक दे रहे हैं। फिर भी अब तक इनके भविष्य का निर्धारण नहीं किया गया है। मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया का इस बारे में कहना है कि, पूर्व कमलनाथ सरकार के दौरान फाॅलेन आउट की सेवा बहाली और नियमितीकरण के लिए 4 माह तक चले धरना प्रदर्शन में वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा, विधायक प्रदीप पटेल आदि आए थे, सभी ने अतिथि विद्वानों की मांग को उचित और न्यायसंगत बताया था। अतः इसी उम्मद के चलते अब तक शिवराज सरकार से निवेदन करते आए हैं।
वहीं एमपी पीएससी से प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों के लिए हुई नियमित भर्ती की नियुक्ति से फाॅलेन आउट हुए अतिथि विद्वान विगत 14 माह से एक-एक दिन मुश्किलों में काटते आए हैं। अब तक कई लोग काल के गाल में समा चुके हैं। वर्तमान में जारी हर सप्ताह की भर्ती के बाद भी 600 से अधिक बेरोजगार रह गए है। पिछली कमलनाथ सरकार ने इनको वचन देकर भी इनका रोजगार छुड़ा लिया था। जिसके अभिशाप से यह वर्षो से प्रदेश के दूर दराज के महाविद्यालयों में सेवा देने वाले उच्च शिक्षित लोग मुक्त नहीं हुए हैं। नियमित भर्ती में भी इनको 5 वर्ष अनुभव के केवल 5 प्रतिशत बोनस अंक 400 अंकों की परीक्षा में देकर ठग लिया था। जबकि यह व्यवस्था दो दशक से भी अधिक समय से चल रही है।
इस संबंध में अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी का कहना है कि, आखिर अतिथि विद्वान कब तक आश्वासन से पेट भरते रहेंगे। जो भी सरकार आती है, वह चुनाव के समय हमारे भविष्य के लिए वादा तो जरूर कर लेती है। लेकिन सत्ता मिलने के बाद भूल जाती है। जिसके कारण हम उच्च शिक्षितो का परिवार अब तक दर दर भटक रहा है। इसलिए अब शिवराज सरकार को दया दिखाकर शीघ्र ही नियमित करने की नीति जारी कर देना चाहिए।