सभी खबरें

विशेष रिपोर्ट: MP:- सिर्फ कागजी दावों पर सरकारी योजनाएं, हक़ीक़त में जरूरतमंद महरूम

विशेष रिपोर्ट: MP:- सिर्फ कागजी दावों पर सरकारी योजनाएं, हक़ीक़त में जरूरतमंद महरूम

 

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव

 अक्सर देखा गया है कि सरकार कई सारी योजनाओं को कागज में दिखा देती है पर हकीकत में उन योजनाओं का लाभ कम ही लोगों को मिल पाता है. या फिर कहें कि बेहद कम लोगों को…और जब इन सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को ना मिले तो हम कह सकते हैं कि सरकार के सारे वादे फेल हैं.

 ऐसी ही प्रधानमंत्री की एक योजना आयुष्मान भारत योजना मध्यप्रदेश में फेल होती नजर आई. देश की 40 फ़ीसदी से ज्यादा गरीब आबादी के लिए, मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना शुरू की थी. जिसमें सरकार ने यह ऐलान किया था कि इस आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कोविड मरीजों का भी मुफ्त इलाज किया जाएगा. पर वाकई ऐसा हुआ होगा या नहीं इसके बारे में आज हम बताएंगे.

 इस योजना की जब से शुरुआत हुई है उस पूरे देश साल में सिर्फ 18000 कार्ड धारकों को ही इस योजना का लाभ मिल सका. यानी जो सरकार यह बड़े-बड़े दावे कर रही थी कि वह 40 फ़ीसदी गरीबों को इस योजना का लाभ उपलब्ध कराएगी वह इस योजना से महरूम रह गए. बताते चलें कि सिर्फ मध्यप्रदेश में आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि इस योजना को लेकर कितनी बड़ी लापरवाही हुई है.

 आयुष्मान कार्ड धारकों को इस योजना के तहत ₹500000 का मुफ्त इलाज मिल सकता था.. कोरोना महामारी के दूसरे लहर में मध्यप्रदेश में त्राहिमाम मचा हुआ था, लाशें श्मशान घाटों में धू-धू कर जल रही थी. अस्पतालों में बेड वेंटीलेटर खाली नहीं थे. सरकारी अस्पताल भर चुके थे, निजी अस्पतालों में भी बट खाली नहीं थे, इन सबके बीच ऐसे में धारकों की उम्मीद इस कार्ड पर टिकी थी.

 इस कार्ड से गरीब परिवार के किसी भी सदस्य के अस्पताल में भर्ती होने से ₹500000 का इलाज मुक्त हो सकता है.

 कोरोना महामारी के दौरान गरीब इस कार्ड पर निर्भर थे. पर जिस वक्त इस कार्ड के लोगों को वाकई जरूरत थी उस वक्त अस्पताल वालों ने यह कहकर मना कर दिया कि यह कार्ड अभी नहीं चल रहा. मरीज के परिजन दर-दर भटकते रहे कई अस्पतालों में चक्कर काटे पर आयुष्मान कार्ड का लाभ नहीं मिला.

 गरीब ने अपने परिजनों के इलाज के लिए लाखों का कर्ज लिया ऐसे में बड़े परिवार को चलाना और कर्ज को भर पाना काफी मुश्किल हो चुका है.

 बताते चलें कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े-बड़े होर्डिंग्स,एडवर्टाइजमेंट के साथ इस योजना की शुरुआत की थी पर जब संकट के दौर में इस योजना की सबसे ज्यादा जरूरत थी उसी समय गरीबों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका.

 

 सिर्फ आयुष्मान भारत योजना में ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री की और कई योजनाओं में इस तरह की बातें सामने आई यानी कहीं ना कहीं यह स्थिति साफ हो रही है कि प्रधानमंत्री की यह योजनाएं सिर्फ अधिकारियों के फाइल तक ही सीमित है.

 जिसे वाकई में इसकी जरूरत है उसकी जरूरत है पूरी नहीं हो पा रही.

 और सरकार इन मामलों पर चुप है, कोरोना की तीसरी लहर भी शुरू हो चुकी है. पहली और दूसरी लहर में लाभार्थी परेशान होते रहे, तीसरी लहर में तो उम्मीद भी नहीं है.

 सवाल ये उठता है कि जब सरकार को इन योजनाओं का लाभ उपलब्ध नहीं कराना होता है तो क्या यह योजना सिर्फ जनता को छलने के लिए लागू की जाती है??

 सवाल तो हो जाते हैं पर जवाब ना तो पूर्व में मिला है और ना अभी मिल पाने की उम्मीद है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button