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शासन ने समय से पहले खत्म कर दिया निर्वाचित अध्यक्ष औऱ सदस्यों का कार्यकाल, मैदानी अमले को बना दिया प्रभारी अधिकारी

शासन ने समय पहले खत्म कर दिया कार्यकाल, मैदानी अमले को बना दिया प्रभारी अधिकारी
जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष और सदस्यों ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
सिहोरा
सिहोरा और मझोली तहसील के अंतर्गत आने वाली माइनर और सब माइनर नहरों की जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष और सदस्यों ने सोमवार को शासन द्वारा समय से पहले उनका कार्यकाल समाप्त कर मैदानी अमले को प्रभारी अधिकारी बनाए जाने को लेकर एसडीएम सिहोरा चंद्र प्रताप गोहिल को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर शासन के निर्णय अवैधानिक बताते हुए इसकी निंदा की। मुख्यमंत्री से अधिसूचना जारी कर सदस्य और अध्यक्ष के कार्य काल को पूर्ण कराए जाने की मांग की।
  जल उपभोक्ता गांधी गंज अध्यक्ष चंद्रजीत पटेल, बघेली माइनर संस्था  अध्यक्ष मनीष चौबे, केवलारी संस्था अध्यक्ष शंभू प्रसाद पटेल, बटरंगी माइनर संस्था के अध्यक्ष रोहित पटेल, आलासूर संस्था के अध्यक्ष सुरेंद्र, नांदघाट संस्था के अध्यक्ष देवी सिंह ठाकुर, दर्शनी संस्था के अध्यक्ष बलिराम राय और सदस्य ब्रह्मानंद दुबे, अरुण पटेल ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन में बताया की मध्यप्रदेश शासन नर्मदा विकास प्राधिकरण भोपाल की अधिसूचना 6 जून 2020 में 2 जून 2020 की कार्यालय कार्यपालन यंत्री नर्मदा विकास संभाग क्रमांक 4 सिहोरा जिला जबलपुर के पत्रक व पत्रकों के माध्यम से उन्हें मालूम हुआ कि नर्मदा विकास बरगी नहर के संपूर्ण दायीं और बायीं नहरों के जल उपभोक्ता संस्थाओं के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल समय से पूर्व ही समाप्त कर दिया गया है। संस्थाओं को विघटित कर मैदानी अधिकारियों जल उपभोक्ता संस्थाओं का प्रभारी अधिकारी बना दिया गया है। इस संबंध में मध्यप्रदेश शासन द्वारा जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष एवं सदस्यों को कभी भी विश्वास में नहीं लिया गया न ही इस पर विचार विमर्श किया गया। जल उपभोक्ता संस्था के विघटित लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव संपन्न हुए हैं।

जल उपभोक्ता अधिनियम 1999 बिना कोई विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हुए शासन द्वारा दिया गया निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। अभी जल विभाजन के सदस्यों का कार्यकाल अभी शेष है। अंतिम चुनाव 30 दिसंबर 2019 को संपन्न हुए। इसमें 6 वर्ष का कार्यकाल है। अधिकारी एवं जांच अधिकारी ने ग्राम अध्यक्ष को प्रमाण पत्र जारी किया है।

ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश शासन का निर्णय पूर्णता अवैधानिक एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध तथा संवैधानिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है। मध्य प्रदेश सरकार बिना सदन का सदस्य हुए मंत्रियों को शपथ दिला रही है। वहीं चुने हुए जल उपभोक्ता संस्थाओं के सदस्य एवं अध्यक्षों को समय से पहले संस्थाओं को विघटित किया जाना निंदनीय है। ऐसे में शासन से आग्रह है कि पुनः अधिसूचना जारी कर अध्यक्ष एवं सदस्यों के कार्यकाल को पूरा कराया जाए।

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