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पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का बड़ा बयान, सीएम को दी यह सलाह

PM व CM को लिखा पत्र, बोले नई शिक्षा नीति बेहतर, लागू करने से पहले राज्य सरकार पहले अपनी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की मजबूती और कमजोरी का आंकलन करे

जबलपुर से भारती चनपुरिया की रिपोर्ट : – पूर्व मंत्री अजय विश्नोई(Ajya vishnoe) ने नई शिक्षा नीति को बेहतर बताते हुए कहा कि अभी इसे इसे लागू कराने की जिम्मेदारी राज्यों के हाथो में पर है।  विश्नोई ने कहा कि राज्य सरकार को लागू करने में  जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। राज्य पहले अपनी वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था मजबूत करे और कमजोरी का आंकलन करें। उसके बाद चरणबद्ध तरीके से सुधार करें और  उसके बाद  नई शिक्षा नीति को लागू करें। विश्नोई ने नई शिक्षा नीति के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi )और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh) को पत्र लिखकर सुझाव भेजे हैं। उन्होंने सेंट्रल टेक्स्ट बुक रेगुलेटरी बोर्ड गठित करने की भी मांग की है                                                                                                                                                                                                                                                   योग्य शिक्षकों की कमी : –

 विश्नोई ने यह भी कहा कि राज्य में अभी भी योग्य शिक्षकों का कमी है।अभी भी  अंग्रेजी-गणित-विज्ञान विषय के शिक्षक नहीं है। शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक शाला में छात्रों की कमी है। अभिभावक इनमें अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना नहीं चाहते है । सरकार को पहले शिक्षकों को शिक्षण कार्य में रूचि और समर्पण का भाव पैदा करना होगी। छात्रों की संभावनाओं को पहचानने और विकसित करने की क्षमता शिक्षकों में होना अत्यावश्यक है। छात्रों को वोकेशनल ट्रेनिंग कहां और कैसे मिलेगी इस गंभीरता से कार्य हों। विश्वविद्यालय की परीक्षा और रिजल्ट को समय पर लाने का काम कराना होगा।

सेंट्रल टेक्स्ट बुक रेगुलेटरी बोर्ड गठित हो : –

विश्नोई ने पत्र में लिख कि स्कूल शिक्षा की समस्त किताबें टेक्स्ट बुक को छापने के पूर्व एक सेंट्रल टेक्स्ट बुक रेगुलेटरी एवं सर्टिफिकेट बोर्ड बनाने का सुझाव दिया है। बोर्ड में प्रत्येक विषय के विद्वानों का समूह हो। एक विषय की कई किताबें हो सकती हैं लेकिन विषय वस्तु में एक रूपता होना आवश्यक है। देश में आज तक ऐसा कोई बोर्ड नहीं बना है।

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