प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद का पचमढ़ी प्रेम
- अपने कार्यकाल के दौरान लंबे समय तक पचमढ़ी में वक्त बिताते थे
- पचमढ़ी के आम की क्राउनिंग से प्रभावित हुए थे डॉ प्रसाद बिहार के कृषि मंत्री को लिखा था खत
- डॉ प्रसाद ने पचमढ़ी में लगाया था बरगद का पौधा
पिपरिया से हर्षित शर्मा की रिपोर्ट : मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया से 55 किलोमीटर दूर स्थित सतपुड़ा की खूबसूरत पर्वत मालाओं से सजा छोटा सा हिल स्टेशन पचमढ़ी जो भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को खासा लुभाता था। डॉक्टर प्रसाद को पचमढ़ी इतना भाया कि वह कई बार यहां आए।
डॉक्टर प्रसाद को निमोनिया की बीमारी थी जिसके कारण डॉक्टरों ने उन्हें कम तापमान वाले शहर में रहने की सलाह दी थी जिसके बाद पहली बार डॉ प्रसाद 8 मई 1953 को पचमढ़ी पहुंचे थे यहां वह कई हफ्तों तक रहे जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में भी सुधार आया ।
उसके बाद कई बार उन्होंने पचमढ़ी आकर सतपुड़ा की वादियों का लुफ्त उठाया।
अपने प्रवास के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद पचमढ़ी के आम के पेड़ों की क्राउनिंग पद्धति से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने बिहार के तत्कालीन कृषि मंत्री अनुभव नारायण सिन्हा को खत लिख कर बिहार में भी इस पद्धति को लागू करने के लिए खत लिख दिया।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने पचमढ़ी के ऊंचे पर्वत पर उद्यान में बरगद पौधा भी रोपा था जो आज एक बड़ा वृक्ष बन चुका है। जिस्ले बाद से इस स्थान का नाम राजेंद्रगिरी उद्यान पड़ गया। राजेन्द्र गिरी उद्यान में सूर्यास्त के समय हजारो पर्यटको की भीड़ प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने पहुँचते है।