किसानों की आत्महत्या का सिलसिला जारी, 101 दिन में 274 किसानों की मौत
टिकरी बॉर्डर/राज राजेश्वरी शर्मा: सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में आज भी आक्रोश भरा हुआ है। किसानों की मांग आज भी नही बदली है, वे आज भी आंदोलन कर सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे है।
एक तरफ सरकार जहां किसानों की मांग को नज़रअंदाज़ कर रही है, वही दूसरी तरफ किसान हार ना मान कर एड़ी-चोटी का दम लगा रहे है। फिर चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों न गवानी पड़ रही हो। हालही में कृषि कानूनों के विरोध में रविवार को हरियाणा के किसान ने खुदकुशी कर ली। 47 वर्षीय किसान की पहचान राजबीर के रूप में हुई। जो लंगर में सेवा दे रहे थे। मृतक किसान के पास एक सुसाइड नोट भी मिला। उसमे लिखा था कि- मरने वालों की आखरी इच्छा पूरी की जाती है। इसीलिए मेरी अंतिम इच्छा है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। 101 दिन से चल रहे किसान आंदोलन में यह 18वीं आत्महत्या है। जबकि अलग अलग घटनाओं के कारण 274 किसान जान गवां चुके है।
दिन प्रतिदिन किसानों के मरने की संख्या बढ़ती जा रही है, परन्तु सरकार की हट मरने का नाम नही ले रही है।सरकार के समक्ष किसान अपनी जान गवां रहे है लेकिन सरकार तब भी कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नही है।
किसानों की समस्या चल रही है चलने दो, फिलहाल चुनाव जीतना आवश्यक है, यही सरकार की नीति है। इस नीति की वजह से ना जाने कितने किसान परेशान है। कितनों की जान चली गईं, कितनों की रोज़ी रोटी छिन गई। यदि और गौर फरमाएं तो मौसम भी बदल गए पर सरकार का मत अब तक नही बदला।
किसानों की आमदनी नही बढ़ा रहे थे, ठीक है कोई बात नही पर ऐसे कानूनों लाकर सरकार किसान के पेट पर बेवजह लात मारकर अपने आप को नाजाने क्या सिद्ध करना चाहती है। यह व्यवहार देश के विकास के लिए बेहद चिंताजनक साबित होने की आशंका पैदा करता है।