बड़े बड़े अधिकारी भी हैं गुटखा किंग के साझेदार , EOW की जांच में रोज़ हो रहे नए खुलासे

Bhopal News Gautam :- भोपाल स्थित गुटखा फैक्ट्री टैक्स (Tax) चोरी मामले में अधिकारी भी आरोपी बनेंगे। ज्ञात हो कि गुटखा फैक्ट्री पर EOW ,State GST सहित 10 विभागों ने छापा मारा था। जिसमे भारी टैक्स चोरी का मामला सामने आया था। अब EOW ने सभी सम्बंधित विभागों के अधिकारियों की लिस्ट मांगी है जिनके कार्यकाल के दौरान गुटखा फैक्ट्री ने इतनी बड़ी कर (Tax) चोरी की। EOW  ने पहले ही कहा था कि इस मामले में अधिकारियों की भी संलिप्तता संदिग्ध है।

जानकारी के अनुसार पिछले 9 महीनो में फैक्ट्री संचालको ने तक़रीबन 1900 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी की है। आरोप है कि करीब 7 विभागों के अलग – अलग अधिकारियों ने इसमें उनकी मदद की है जिनका खुलासा जल्द ही हो जाएगा। इन विभागों के अधिकारियों ने यदि समय-समय पर फैक्ट्री का निरीक्षण कर उत्पादन, मात्रा, कच्चे माल की खरीदी, पैकिंग, निर्माता, तारीख, मात्रा आदि का आकलन किया होता तो टेक्स चोरी पहले ही पकड़ी जा चुकी होती।

कौनसे विभाग हैं शामिल
ईओडब्ल्यू ने श्रम विभाग (Labour department) , स्टेट जीएसटी-वाणिज्यिक कर विभाग (State GST), नापतौल विभाग (Measurement Department) , खाद्य एवं औषधीय प्रशासन, बिजली विभाग(Electricity Department) और डीआईसी के अधिकारियों की लिस्ट मांगी है जो उन नौ महीनो में कार्यरत थे। ईओडब्ल्यू के छापे के बाद इन सभी विभागों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट बनाकर जांच एजेंसी (Agency) को सौंपी है। सभी की रिपोर्ट में अपने-अपने नियमों का उल्लंघन होना पाया गया। बाल श्रम (Child Labour) जैसा अपराध भी सामने आया। अवमानक गुटखा निर्माण के साथ इनमें स्वास्थ्य के लिहाज से घातक सामग्री भी मिली। इसके बावजूद इन विभागों के अधिकारियों ने समय-समय पर फैक्ट्री और यहां बनाए जा रहे उत्पाद का नमूना नहीं लिया। इसके कारण टेक्स चोरी के साथ अन्य कानून, नियम तोड़े गए। इसकी रिपोर्ट जिन अधिकारियों ने बनाई हो सकता है, ईओडब्ल्यू उन्हें भी आरोपी बना दें। बताया जा रहा है कि ईओडब्ल्यू कि कार्रवाई के पहले यदि सभी विभाग अपना-अपना काम करते तो ईओडब्ल्यू को छापा मारने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसलिए इन विभागों के जिम्मेदारों को नामजद आरोपी बनाने की दिशा में जांच की जा रही है।

क्या सिर्फ अधिकारी थे शामिल
शुरूआती जांच में EOW ने कहा था कि फैक्ट्री संचालकों के नेताओं से भी अच्छे सम्बन्ध थे जिसके एवज़ में वे लोग हर बार बच जाते थे। तो फिर कार्रवाई सिर्फ अधिकारियों पर क्यों ?  क्या नेताओं के नाम लेने से विभाग कतरा रही है ? और अगर नेताओं की संलिप्तता इसमें नहीं थी तो क्या ऐसा हो सकता है कि पिछले 9 महीनो में ऐसा कोई भी अधिकारी नहीं आया जिसने फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ करवाई करने की सोची हो। बहरहाल यह मामला तो जांच ख़त्म होने के बाद ही पता चल पायेगा या शायद न भी चले।

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