यही है प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था , भोपाल में कक्षा तीसरी के 75 फीसदी बच्चे पहली कक्षा का पाठ नहीं पढ़ सकते

Bhopal Desk Gautam :- अगर आपको याद हो तो कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में आते ही प्रदेश का अपने कार्यकाल में पहला बजट पेश किया था। और उस बजट में साफ़ – साफ़ कहा गया था कि शिक्षा और स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता है। पिछले दिनों हुए बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था तो आप जान ही चुके होंगे और यह तस्वीर देखने के बाद आप शिक्षा व्यवस्था की स्थिति भी समझ जाएंगे। देवास के साखलघाट सरकारी प्राथमिक स्कूल में बच्चे जर्जर छत के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। बारिश के मौसम में हीं इस स्कूल की यह स्थिति हो गई थी लेकिन आज तक कोई भी अधिकारी इसकी सुध लेने को नहीं आया है।

पहली कक्षा के 90 फीसदी बच्चे शब्द भी नहीं पढ़ पाते
एक रिपोर्ट की माने तो प्रदेश के 4 में से 8 साल के नब्बे फीसदी बच्चों का आंगनबाड़ी या सरकारी विद्यालयों में नामांकन दर्ज़ है। इसमें 4 वर्ष के 91.3 फीसदी और 8 वर्ष के 99.5 फीसदी बच्चे शामिल हैं। इसमें सबसे अधिक 70 फीसदी बच्चें आंगनवाड़ियों में जाते हैं। आंगनबाड़ी और सरकारी स्कूलों के प्री – प्राइमरी एवं प्राइमरी कक्षा के बच्चो का शैक्षणिक स्तर बेहद ही कम है।
यहाँ तक कि भोपाल जिला में पहली कक्षा के 90 फीसदी बच्चे सही से शब्दों को भी नहीं पढ़ पाते हैं। यह खुलासा हुआ है 14वीं एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट ( ASAR ) में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भोपाल में कक्षा तीसरी के 75 फीसदी बच्चे पहली कक्षा का पाठ नहीं पढ़ सकते हैं। इसी तरह सतना में भी कक्षा तीसरी के 38.4 फीसदी बच्चे पहली कक्षा के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं।

59 फीसदी बच्चे 2 अंको की संख्या नहीं पढ़ सकते
रिपोर्ट के मुताबिक़ पहली कक्षा के 41.1 फीसदी और तीसरी के 72.2 फीसदी बच्चे ही दो अंको की संख्या को पहचान सकते हैं। अगर NCERT की माने तो सीखने के परिणामो के अनुसार बच्चो को 99 तक की संख्याएं पहचानने में सक्षम होना चाहिए।  

(सारे डाटा “14th Annual Status Of Education Report” से ली गई है)

Picture Credit : Patrika Bhopal

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