क्या मैं भी आत्महत्या कर लूं? अतिथिविद्वानों पर झल्लाए उच्च शिक्षा मंत्री का बेतुका जवाब
क्या मैं भी आत्महत्या कर लूं? अतिथिविद्वानों पर झल्लाये उच्च शिक्षा मंत्री का बेतुका जवाब
फालेन आउट अतिथि विद्वानों को सेवा में वापस लेने मुद्दे पर सीएम से मिलवाने का आग्रह कर रहे थे अतिथिविद्वान
भोपाल:- अगर अतिथिविद्वानों ने आत्महत्या की है तो मैं क्या करूँ। क्या मैं भी आत्महत्या कर लूं? सूबे के सरकारी कालेजों में अध्यापन करने वाले अतिथिविद्वानों को ये विभागीय मंत्री डॉ मोहन यादव का जवाब था। उल्लेखनीय है कि अतिथिविद्वान पिछले दो दशकों से अपने रोजगार कि सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे है। इसी कड़ी में अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक व महासंघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह के नेतृत्व में अतिथिविद्वानों का एक प्रतिनिधिमंडल उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव से फालेन आउट अतिथि विद्वानों की अतिशीघ्र बहाली के मुद्दे पर माननीय मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेने व आगे कार्यवाही के आग्रह के लिए मंत्रीजी में पास पहुँचा था।अतिथिविद्वानों ने अपनी पीड़ा बयान करते हुए बताया कि हमारे कई साथी अब तक फालेन आउट होकर नौकरी से बाहर हैं।जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने सभी अतिथिविद्वानों को सेवा में लेने की बात कही थी। बेरोजगारी व मानसिक अवसाद के कारण कई अतिथिविद्वान आत्महत्या कर काल कवलित हो चुके है। जिस पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने झल्लाते हुए कहा कि यदि अतिथि विद्वानों ने आत्महत्या की है तो मैं क्या करूँ। क्या मैं भी आत्महत्या कर लूं? संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने मंत्रीजी के इस बेतुके बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा है कि विभागीय मंत्री हमारे संरक्षक व पारिवारिक मुखिया की भूमिका में है।हमें ऐसे बयान की आशा बिल्कुल नही थी।आज अतिथिविद्वान पीड़ित व शोषित है।अतिथिविद्वान के मुद्दे पर ही भाजपा फिर से सत्ता के सिंहासन तक पहुँची है।मुख्यमंन्त्री शिवराज सिंह चौहान विपक्ष में रहते अतिथिविद्वानों के सबसे बड़े हितैषी के रूप में सामने आए थे। अब जबकि वे सत्ता के शिखर पर हैं।सरकार के अतिथिविद्वानों के प्रति यह रवैया राजनैतिक असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। उच्च शिक्षा मंत्री से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में डॉ लस्करी दास, डॉ सुनीता सोलंकी, डॉ किरण पांडेय,सोना विश्वकर्मा, डॉ सुरेश कुमार विमल, डॉ पदम सिंह,शशांक शर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में ग्वालियर,चंबल, उज्जैन,इंदौर,शहडोल आदि संभागों से आए अतिथि विद्वान शामिल रहे।दूर दूर से आए दिव्यांग और महिला अतिथि विद्वानों की पीड़ा और बेबसी साफ दिखाई दे रही थी।अब देखना होगा कि सरकार की विपक्ष के समय वाली संवेदना कब वापस होगी।