बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन : मप्र हाईकोर्ट ने लगाई रोक, राज्य सरकार दवारा जंगल को लीज़ पर देने की बात आई सामने
जबलपुर : मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बक्सवाहा जंगल में हीरे के लिए होने वाले खनन पर रोक लगा दी है। दरअसल, पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस जंगल में कल्चुरी कल्चुरी और चंदेल काल की मूर्तियां और स्तंभ हैं। अगर कोई खनन गतिविधि होती है तो इस पुरासंपदा को नुकसान पहुंच सकता है।
बता दे कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगल पीठ के सामने बक्सवाहा के जंगलों में हीरा खनन के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि 10 से 12 जुलाई के बीच आर्कियोलॉजिकल विभाग ने बक्सवाहा जंगल में सर्वे का काम पूरा कर इसकी रिपोर्ट दी थी। जिसे हाईकोर्ट में पेश किया गया था। इसी सर्वे के आधार पर याचिकाकर्ता की ओर से खनन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
वहीं, मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए खनन पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ और जस्टिस विजय शुक्ला की डबल बेंच ने कहा कि बक्सवाहा जंगल में खनन से वहां मिली पाषाण युग की रॉक पेंटिंग, कल्चुरी और चंदेल काल की मूर्तियां, स्तंभ आदि संपदा नष्ट हो सकती हैं। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए स्टे आदेश जारी किया कि वहां खनन का कोई भी काम हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही होगा।
इस दौरान हाईकोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल विभाग, केंद्र और राज्य सरकार को भी अपने जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
बताते चले कि नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से दायर जनहित याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बक्सवाहा जंगल में डायमंड माइनिंग के खनन पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि बक्सवाहा जंगल में मिली रॉक पेंटिंग 25 हजार साल पुरानी है। पाषाण युग की ये रॉक पेंटिंग अनमोल धरोहर है, जो खनन से नष्ट हो सकती है। इसके अलावा वहां सर्वे में कल्चुरी, चंदेल काल की कई मूर्तियां और शिलाएं आदि संपदाएं मिली हैं।
इसी मामले पर एक और याचिका, लेकिन मुद्दा अलग
हरियाणा निवासी रमित बासु, महाराष्ट्र निवासी हर्षवर्धन मेलांता व उप्र निवासी पंकज कुमार ने एक और याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि हीरा खनन के लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्री को छतरपुर स्थित बक्सवाहा के जंगल की 382 हैक्टेयर जमीन राज्य सरकार ने 50 साल की लीज पर दी है। इसके लिए सवा दो लाख पेड़ों को काटा जाना है। यह जंगल पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है और यह टाइगर कॉरिडोर में आता है। इसके लिए एनटीसीए और वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति लेनी चाहिए थी, जो नहीं ली गई है। आवेदकों का कहना है कि वन्यजीवों को भी जीने का अधिकार है और अगर इन जंगलों को काटा गया तो वे कहां जाएंगे? बक्सवाहा जैसा जंगल बनने में हजारों साल लग जाते हैं। राज्य सरकार का लाभ के लिए जंगल को लीज पर देना गलत है।