
दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट – शहर में अतिक्रमण विरोधी मुहिम आज दूसरे दिन भी जारी रही। पुलिस प्रशासन के सहयोग से राजस्व और नगरपालिका की टीम ने भारी पुलिस बल के बीच आज दोपहर कसाई मंडी में करीब आधा दर्जन पक्के मकानों को तोड़ा तो कई बाउंड्री वॉल भी ध्वस्त कर दी।नगर पालिका प्रशासन की चेतावनी के बाद भी निश्चित समय अवधि में अतिक्रमण न हटाने पर आज नगर पालिका और राजस्व विभाग की टीम ने पुलिस बल के सहयोग से दूसरे दिन पुनः अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही जारी रखी। मालूम हो कि प्रशासन ने कई बार अतिक्रमणकारियों को चेतावनी देकर अपनी स्वेच्छा से शासकीय जमीन मुक्त करने का आग्रह किया था। लेकिन कब्जा धारियों ने अतिक्रमण नहीं तोड़े। जिसके बाद आज अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिव कुमार और अनुविभागीय अधिकारी गगन बिसेन की मौजूदगी में नगरपालिका की टीम लाव लश्कर के साथ कसाई मंडी पहुंची। जहां बैरिकेड लगाकर पहले सभी मार्ग बंद किए गए तथा उसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई। किसी तरह का उपद्रव न हो इसे देखते हुए पुलिस ने पहले ही एतिहात के तौर पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर पूरे एरिया को छावनी में तब्दील कर दिया। इसके साथ ही जहां अतिक्रमण तोड़े जा रहे थे वहां किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
अपराधियों के मकान भी किए ध्वस्त
एएसपी शिव कुमार सिंह ने बताया कि 6 मकान और कई बाउंड्री वाल तोड़ी गई है। तथा अन्य अतिक्रमणकारियों को भी चेतावनी दी गई है कि वे अपने अतिक्रमण हटा लें। जो मकान गिराए गए हैं उनमें कुछ अतिक्रमण अपराधिक लोगों के भी शामिल हैं। हालांकि पुलिस ने उनके नामों का खुलासा नहीं किया।
सर्वे के बाद की कार्यवाही
अनुविभागीय अधिकारी गगन विसेन ने स्पष्ट किया कि अतिक्रमण विरोधी मुहिम भेदभाव पूर्ण नहीं है। पूर्व में ही सर्वे कर लिया गया था। अतिक्रमणकारियों को चेतावनी भी दी गई थी लेकिन जब उन्होंने अतिक्रमण नहीं हटाए तब प्रशासन को अपनी ओर से कार्यवाही करना पड़ी। श्री बिसेन ने कहा कि पूरे शहर में इस तरह की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी।
यह भी है वजह
पूरे मामले में गौरतलब है कि 28 दिसंबर को कुछ कसाइयों द्वारा सामूहिक रूप से शिक्षक अजय मुड़ा की नृशंस हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद से लगातार हिंदू संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी है। इसके साथ ही 2 दिन पूर्व ही कई संगठनों ने अतिक्रमण हटाने तथा आपराधिक प्रवृत्तियों के लोगों पर कार्यवाही करने की मांग कलेक्टर तरुण राठी से की थी। माना जा रहा है कि हिंदू संगठनों की चेतावनी के बाद ही प्रशासन नींद से जागा और कार्यवाही शुरू की गई।