दमोह : ड्रेस निर्माण में एक और धांधली, एक ही फर्म से कर ली सारे कपड़े की खरीदी 

एक ही फर्म से कर ली सारे कपड़े की खरीदी
पंगु बना बैठा प्रशासन
ड्रेस निर्माण में एक और धांधली                                                                                                                                                                                                                                          दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : –
 ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा ड्रेस निर्माण में की गई धांधली की परतें रोज खुल रही हैं। लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी संबंधितों पर कार्रवाई करने की बजाय पंगु बने बैठे हैं।
       गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश पर एन आर एल एम द्वारा जिले भर में करीब ढाई लाख गणवेश का निर्माण करा कर बच्चों को वितरित की जाना है। इसके लिए केवल पंजीकृत स्व सहायता समूह को काम दिया जाना था, लेकिन अधिकारियों ने मनमाने तरीके से यह काम अपने चहेते लोगों को दे दिया। पूरे मामले में खास बात यह है कि इस मामले की डीलिंग करने वाले और ड्रेस के लिए कपड़ा सप्लाई कर रहे अजीत मोदी नामक  व्यक्ति  से ही समूह को कपड़ा खरीदने के लिए बाध्य किया गया। जिन समूहों ने संबंधित व्यक्ति से कपड़ा खरीदने से इनकार किया उन्हें काम ही नहीं दिया गया। इस तरह के एक नहीं कई मामले हैं। दमोह ब्लॉक में ही घाट पिपरिया, तिंदोनी तथा घाट पिपरिया में कागजों पर ही ड्रेस का निर्माण किया जा रहा है। यहां के स्व सहायता समूहों ने बताया कि उन्हें किसी तरह का कोई काम नहीं दिया गया। अधिकारियों की यह शर्त थी कि पूरा कपड़ा उनके बताए पते से खरीदा जाए तभी काम दिया जाएगा। जब समूहों ने मनमाने स्थान से कपड़ा खरीदने से इंकार कर दिया तो उन्हें काम से बाहर कर दिया गया। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने जिन समूहों को काम देना दर्शाया है उस सूची में उक्त गांव के समूह भी शामिल है जो काम से वंचित हैं। शासन की गाइडलाइन के मुताबिक आजीविका मिशन को पंजीकृत समूहों को काम देना था। इसके लिए उनके खातों में राशि अंतरित करने का नियम है। लेकिन अधिकारियों ने एकमुश्त एक ही फर्म से कपड़े खरीद लिए तथा व्यापारी को अनुचित रूप से कई लाखों रुपए का फायदा पहुंचाया है। संज्ञान में आया है कि इस मामले में जिला प्रशासन के एक आला अधिकारी ने किसी भी तरह का सहयोग करने से हाथ खड़े कर दिए थे तथा एन आर एल एम के सुपुर्द ही सारा दारोमदार छोड़ दिया था। जिसके बाद एन आर एल एम ने अपने मनमाने तरीके से पूरे काम का बंदर बांट कर लिया। राजनीतिक दबाव और कुछ राजनीतिक लोगों के इसमें शामिल होने के कारण अब जिले के मुखिया मामले की जांच नहीं करा पा रहे हैं लेकिन उनकी इस खामोशी पर भी लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
 हर बार पकड़ा गया झूठ एनआरएलएम के डीपीएम श्याम गौतम ने कैमरे के समक्ष कहा था कि करीब डेढ़ सौ समूह की 16 सौ महिलाओं को गणवेश निर्माण का कार्य दिया गया है। जबकि उन्हीं के दस्तावेजों से यह बात सामने आई है कि मात्र 1172 महिलाओं को काम दिया गया है।  वहीं कागजों में 262 समूह दर्शाए गए हैं। इसके अलावा 816 मशीनें बताई गई है इस हिसाब से देखें तो एक मशीन पर दो महिलाएं काम कर रही हैं। विभागीय अधिकारियों के झूठ लगातार सामने आ रहे हैं लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई प्रशासन नहीं कर रहा है।                                                                                                                                                                                                                

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