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100 करोड की रॉयल्टी मिलती है जबलपुर से, पर विकास के नाम शहर को नहीं मिलता धेला

जबलपुर को  विकास के नाम पर दिखाया जाता है ‘ठेंगा’

जबलपुर/भारती चनपुरिया – :   जबलपुर(जबलपुर) का प्रदेश में खनिज के मामले में अलग ही स्थान है।इस स्थान में आयरन ओर , मैंगनीज और डोलोमाइट जैसे करीब 10 प्रमुख खनिज यहां पर बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। धरती के इस खजाने से शासन अपना लाभ देखता है परन्तु जबलपुर के विकास में कोई भी बड़ा योगदान नहीं होता है। शहर को  विकास के इस नाते उतनी तवज्जो नहीं दी जाती जिसका वह हक दार है। शासन को इन खनिजों के खनन से सालाना लगभग 100 करोड़ की रॉयल्टी मिलती है। यह खजाना देश के दूसरे प्रदेशों के साथ ही विदेश तक निर्यात तक किया जाता है, ऐसे में सभी प्रकार के टैक्स आदि से भी करोड़ों रुपए की कमाई भी होती है।

जिले में खनिजों के खनन से मिलती है करीब 100 करोड़ रुपए की रॉयल्टी

खनिज से भरता है खजाना, विकास के नाम शहर को नहीं मिलता धेला

इतनी महत्वपूर्ण जगह होने के बाद भी शहर के विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता है। प्रदेश की सरकार भी जबलपुर को उतना महत्व नहीं देते है। राजनीतिक नेतृत्व के मामले में भी उपेक्षा की दश शहर झेल रहा है। कुछ ऐसे खनिज यहां पर पाए जाते हैं जो कि कहीं नहीं मिलते या फिर कम मात्रा में उनकी उपलब्धता होती है।

अभी  हाल में 80 छोटी व बड़ी खदानें है – :

जबलपुर जिले में लगभग 80 छोटी और बड़ी खदानें हैं। इन सब में  सबसे ज्यादा रेत की खदानें हैं।परन्तु रेत की रॉयल्टी उतनी नहीं होती।अब मिली जानकारी के अनुसार इसी साल 30 करोड़ रुपए में रेत का ठेका हुआ है। इसी प्रकार आयरन ओर की लगभग 18 बड़ी खदानें हैं जिनमें हजारों मीट्रिक टन के आयरन ओर की खुदाई होती है।बतया ये जाता है कि  यहां से पूर्व में चीन तक आयरन ओर भेजा गया है । आयरन ओर का लौह अयस्क से लोहा बनाने के घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और  इसी प्रकार मैंगनीज की बड़ी खदानें हैं जिनमें कई टन माल निकाला जाता है।तथा  मार्बल, डोलोमाइट, लैटेराइट की खदानें हैं। इनमें शासन के रॉयल्टी मिलती है साथ की करोड़ों का टैक्स भी खदान संचालक देते हैं।

अभी जिले में खदानों की ये है स्थिति – :

  • : 80 से अधिक छोटी-बड़ी खदान।

  • :  आयरन ओर की करीब 18 खदानें।

  • : मैंगनीज की लगभग 4 चालू खदान।

  • : जिले में रेत की खदानों की संख्या 47।

  • : 200 से ज्यादा संचालित हैं क्रेशर।

  • : ग्रामीण क्षेत्र में 7 खदानें मार्बल की।

जिले में खनिज का  50 से 60 करोड़ की चोरी भी होती है – :

जिले में खनिज की व्यापक पैमाने पर चोरी भी होती है। हर साल माइनिंग विभाग 500 से अधिक प्रकरण बनाता है। इसमें अवैध उत्खनन, परिवहन व भंडारण के प्रकरण भी  शामिल होते हैं। हर साल इस पर 2 से 3 करोड़ रुपए तक का जुर्माना कलेक्टर कोर्ट में होता है। खनिज विभाग की कार्रवाई से अवैध खननकर्ता हर साल करोड़ का खनिज चोरी कर लेते हैं। क्योकि विभाग के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह पूरे समय चोरी करने वालों पर शिकंजा कस पाए।

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