चिली में विरोध-प्रदर्शन के बीच लगाए गए आपातकाल को हटा दिया गया है. चिली की सड़को पर 10 लाख से ज्यादा लोग प्रदर्शन कर रहे है. बता दे कि चिली दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का एक देश है. जिसकी आबादी एक करोड़ नब्बे लाख है. जीडीपी पर कैपिटा के मामले में इस देश की स्थिति भारत से कहीं बेहतर है. यहाँ की जीडीपी पर कैपिटा 16,078 डॉलर है. इस कारन से यह दक्षिण अमेरिका का समृद्ध देश है. चिली OECD का भी मेंबर है.
क्यों हो रहे है प्रदर्शन ?
चिली में हो रहे प्रदर्शन का मुख्य कारण असमानता है. जिसको उकसाने का काम हाल ही में सरकार के एक नए फैसले ने किया. सरकार ने आय बढ़ाने के इरादे से मेट्रो के किराये मे बढ़ोतरी कर दी. हालाँकि यह वृद्धि मामूली थी. किराए को 800 पेसो(चिली मुद्रा) से बढाकर 803 पेसो कर दिया. भारतीय रूपये के हिसाब से देखें तो यह वृद्धि लगभग 3 रूपये की थी. चिली यूँ तो दक्षिण अमेरिका का एक धनी देश है. मगर वहां मौजूद आर्थिक असमानता ने ताज़ा हालत की स्थिति को पैदा किया है. चिली की अर्थवयवस्था कॉपर पर आधारित है. यहाँ कॉपर की खुदाई होती है जिसको अन्य देशों में निर्यात किया जाता है. इस प्रकार खान के मालिकों की आय तो अच्छी खासी है लेकिन वहां काम करने वाले मजदूर तंग है. देश के 1 % लोगो के पास खूब पैसा है मगर मध्य वर्ग की हालत अच्छी नहीं है. असमानता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओईसीडी के 36 सदस्य देशों में चिली ऐसा देश है जहां आय में असमानता काफी ज्यादा है. आर्थिक असमानता की इस स्थिति ने ही प्रदर्शन का रूप धारण कर लिया है. नागरिको और सुरक्षा की बलों के बीच झड़प हुई जिसमे अब तक कुल 17 लोग अपनी जान गवाँ चुके हैं.
गौतलब है कि इस साल इसी महाद्वीप के देश वेनेज़ुएला में भी विरोध प्रदर्शन हुए थे.