बच्चों को डिटेंशन कैंप नहीं भेजें -सुप्रीम कोर्ट !
- बच्चों को डिटेंशन कैंप में नहीं भेजा जाए |
- NRC की फाइनल लिस्ट से तकरीबन 19 लाख लोग बहार हैं
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बयानों में असम में कोई डिटेंशन कैंप के नहीं होने का ज़िक्र करते हैं |
न्यायपालिका और सरकार के बीच का आपसी सवांद शायद अब खत्म हो गया है | जिसका ताज़ा उदाहरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया कल का फैसला है | जहां सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को यह आदेश दिया है की असम में जारी हुए NRC की फाइनल लिस्ट से बहार हुए ऐसे बच्चें जिनके माता -पिता ,केयरटेकर और अभिभावक का नाम NRC के फाइनल लिस्ट में हैं, वैसे बच्चों को डिटेंशन कैंप में नहीं भेजा जाए |
जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बयानों में असम में कोई डिटेंशन कैंप के नहीं होने का ज़िक्र करते हैं | अगर असम में डिटेंशन कैंप नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर सवाल उठता है | देश के प्रधानमंत्री किससे और क्या छुपा रहें ! भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद ए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच के समक्ष पेश होकर अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को एनजीओ सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई करनी थी|
एनजीओ के लिए वरिष्ठ वकील अपर्णा भट ने कोर्ट के समक्ष कहा की जिन 60 बच्चों को NRC के फाइनल लिस्ट से बहार रखा गया , उन्होंने ने अपने पूरे कागजात दिखाए थे , मगर फिर भी ना जाने किन कारणों से उन्हें इस लिस्ट से बहार रखा गया है | जिसपर देश के मुख्य न्यायाधीश ने इसे एक गंभीर समस्या बताया है | NRC की फाइनल लिस्ट से तकरीबन 19 लाख लोग बहार हैं , जिन्हे फिर से अपनी नागरिकता साबित करना होगा !