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अब पानी बचाएँ ऐसे, जैसे ऑस्ट्रेलिया बचा रहा है

दुनिया में पीने योग्य पानी को बचाने के लिए न जाने क्या क्या उपाय हो रहे हैं| इसमें सबसे अनोखा एवं नया तरिका इज़ाद किया है ऑस्ट्रेलिया ने | वहां के आदिवासी नेताओं के एक फैसले ने सबको हैरान कर दिया है। सूखेग्रस्त इलाकों में पीने के पानी को बचाने के लिए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 हजार जंगली ऊंटों को मारने का आदेश दिया गया है। यह काम बुधवार से शुरू भी जाएगा, जिसमें पेशेवर निशानेबाज हेलीकॉप्टर से ऊंटों को मोक्ष दिलाएंगे| मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले कुछ आदिवासी समुदायों की शिकायत है कि जंगली ऊंट पानी की तलाश में उनके इलाके में आते हैं और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ाते हैं ऊँट
चिंता का विषय यह भी है कि पशु ग्लोबल वार्मिंग में भी अपना योगदान दे रहे हैं क्योंकि वह एक वर्ष में एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर मीथेन का उत्सर्जन करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय जंगली ऊंट प्रबंधन योजना का दावा है कि अगर ऊंटों को लेकर कोई रोकथाम योजना नहीं लाई गई तो यहां जंगली ऊंटों की आबादी हर नौ साल में दोगुनी हो जाएगी।कार्बन फार्मिंग विशेषज्ञ रेजेनको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टिम मूर का कहना है कि एक लाख जंगली ऊंट प्रति वर्ष जितनी कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर मीथेन का उत्सर्जन करते हैं, वह सड़क पर चलने वाली अतिरिक्त चार लाख कारों के बराबर है। हालांकि ऊर्जा एवं पर्यावरण विभाग का कहना है कि जंगली जानवरों के उत्सर्जन को देश के उत्सर्जन अनुमान में नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वे घरेलू प्रबंधन के तहत नहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया वैसे भी जंगलों में लगी भयंकर आग से जूझ रहा है। इस अग्निकांड में अब तक लाखों जीव-जंतुओं की जलकर मौत हो चुकी है।ऐसे में ऊँटो को मारने का फैसला कहाँ तक ज़ायज़ है और अगर नहीं है तब पेटा जैसे संस्थान  इस पर आवाज़ क्यों नहीं उठाते|और अगर ऊँट सही में इतने नुकसानदायक हैं तो इतने दिनों तक यह फैसले क्यों नहीं लिए गए| सवाल अनेक हैं जबाब किसी के पास नहीं |

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