NEET में शामिल स्टूडेंट का डेटा वेबसाइट से खरीद MBBS में दाखिला दिलाने का झांसा देकर की ठगी

भोपाल:
मध्यप्रदेश STF (स्पेशल टॉस्क फोर्स) ने गुरुवार को MBBS में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के दो शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों का नाम संदीप करवरिया और दीपक कुमार बताया गया है जबकि गिरोह के छह आरोपी अभी भी फरार हैं। गिरोह ने NEET (NATIONAL ELIGIBILITY CUM ENTRANCE TEST) में शामिल होने वाले छात्रों का वेबसाइट से डेटा खरीदकर छात्रों व उनके परिजनों से संपर्क करते हैं। STF ने दावा किया कि आरोपियों ने देशभर के अलग-अलग मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला दिलाने के नाम पर करीब 200 छात्रों के साथ ठगी की है। गिरफ्तार आरोपियों में एक 2013 में हबीबगंज थाना भोपाल से गिरफ्तार हो चुका है। आरोपी ठगी का पैसा मौज-मस्ती के साथ हवाई यात्रा में खर्च कर देते हैं।

बताया जा रहा है की दोनों आरोपियों ने भोपाल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिलने पर आरोपी ठगी करने लगे। आरोपी मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगल, झारखंड, दिल्ली के छात्रों के साथ ठगी कर चुके हैं। पुलिस इनसे अन्य वारदातों के बारे में पूछताछ कर रही है।

 

STF एसपी नवीन चौधरी ने बताया कि रीवा निवासी विवेक मिश्रा ने शिकायत की थी उनके बेटे प्रतीक मिश्रा ने NEET की परीक्षा दी थी। इसी बीच संदीप करवरिया ने करियर गाइडेंस के रूप में फोन किया था। उसने मेडिकल कालेज में बेटे का दाखिला दिलाने का झांसा देकर भोपाल बुलाया। यहां से गिरोह के सदस्य बेटे को दिल्ली लेकर गए। जहां, गिरोह ने MCI, सेंट्रल पूल कोटे का फर्जी फॉर्म भरवाया। फिर MCI का उनके मोबाइल में फर्जी मैसेज आया। आरोपियों ने बेटे को भरोसा दिया कि गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में दाखिला हो गया है। इस आधार पर आरोपियों ने विवेके से 36 लाख रुपए ऐंठ लिए। जब प्रतीक ने गांधी मेडिकल कॉलेज में पता किया तो उसका दाखिले की सूची में नाम नहीं था।

एसपी ने बताया कि गिरोह ने कई ऐसे छात्रों से भी ठगी कर चुके हैं, गिरोह वेबसाइट से छात्रों का डेटा खरीदते हैं। इसके बाद छात्रों से संपर्क करते हैं। वे छात्रों को MCI, सेंट्रल के पूल कोटे से MBBS में दाखिला दिलाने का झांसा देते हैं। इसके बाद संबंधित कॉलेज का भ्रमण कराने के लिए बुलाते हैं। यहां, पहले से ही इनके लोग कॉलेज में बैठे रहते हैं। जिन्हें कॉलेज का पदाधिकारी बताकर छात्र को मिलवाते हैं। छात्र का भरोसा जीतने के बाद आरोपी MCI का फेक मैसेज मोबाइल में भेजते हैं। छात्र मैसेज को सही मानकर इन्हें पैसा दे देता है। जिनका दाखिला खुद से हो गया था। आरोपियों ने छात्रों से 10 हजार रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक ऐंठे हैं। गिरोह की मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों से भी साठगांठ सामने आई है। इनके गिरोह से जुड़े लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज मुंबई के डीन को क्राइम ब्रांच मुंबई पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है।

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