ब्लैक फंगस : शिवराज सरकार के लिए बना चुनौती, मिले 450 से ज़्यादा मरीज़, हुई 36 मौतें
मध्यप्रदेश/भोपाल : कोरोना से लड़ता प्रदेश नए संकट से घिरता जा रहा हैं। यह संकट है म्यूकर माइकोसिस (Muker Mycosis) यानी ब्लैक फंगस की बीमारी का। दरअसल यह बीमारी कोरोना से उबरे मरीजों में स्टेरायड या अन्य कारणों से लगातार बढ़ती जा रही हैं। कमजोर इम्युनिटी वाले, डायबिटीज के शिकार लोगों को यह बीमारी न सिर्फ जकड़ रही है, बल्कि जानलेवा साबित हो रही हैं।
ब्लेक फंगस के प्रदेश में 450 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं। भोपाल सहित 16 शहरों में करीब 36 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। यह तो वह आंकड़े हैं, जो सामने आए हैं, वरना हकीकत में ब्लैक फंगस के शिकार बने लोगों की संख्या कहीं ज्यादा हैं। कई मौतें तो रिपोर्ट ही नहीं की गई हैं। केवल भोपाल के ही सरकारी और निजी अस्पतालों में करीब सवा सौ मरीज भर्ती है, 50 मरीज तो भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज में लिए दाखिल हैं। भोपाल में ही ब्लैक फंगस के 7 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोगों को अपनी आंख की रोशनी गंवानी पड़ी हैं।
इधर, कोरोना से लड़ रही शिवराज सरकार के सामने अब इस नई बीमारी ब्लैक फंगस ने चुनौती बढ़ा दी हैं। सरकार ने ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए जिलों के अस्पतालों में अलग-अलग वार्ड बनाए जाने के साथ ही जरूरी इंजेक्शन मुहैया कराने, उसकी कालाबाजारी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा जैसे करीब एक दर्जन राज्यों में मप्र भी शुमार है, जिसे कोरोना महामारी के लड़ने के साथ-साथकाली फफूंद याने ब्लैक फंगस (Black Fungus) नामक जानलेवा बीमारी के कहर से निपटने के लिए जंग का एक दूसरा मोर्चा भी खोलना पड़ा हैं।