आजाद भारत के इतिहास का वो वक्त, जब पेश करना पड़ा था काला बजट
- आज हलवा की रश्म को निभाकर वित्त वर्ष 2020-21 के बजट के लिए जरूरी दस्तावेजों की छपाई भी शुरू हो गई।
तैयार किया जाता है कड़ाही में हलवा
- परंपरागत रस्म के तहत एक बड़ी कड़ाही में हलवा बनाया जाता है और वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों में बांटा जाता है।
समारोह में मौजूद रहे वरिष्ठ नेता
- इस समारोह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
- मोदी सरकार दूसरा बजट एक फरवरी को पेश करेगी
इतिहास में एक ऐसा भी मौका आया जब ब्लैक बजट पेश करना पड़ा
- इतिहास में ऐसा भी वक्त आया है जब सरकार को ब्लैक बजट पेश करना पड़ा था। गौरतलब है कि इंदिरा सरकार ने इस बजट को किया पेश किया था। आज तक ऐसा बजट कभी पेश नहीं किया गया। तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने भाषण में कहा था कि देश में सूखे के कारण पैदा हुए हालात और खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी की वजह से बजटीय घाटा बढ़ गया है इसलिए इसे लाना पड़ा।
1973-74 के बजट को ही ब्लैक बजट कहा जाता है
इस बजट में सरकार ने 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया था, इसी वजह से इसे ब्लैक बजट कहा जाता है।
क्या होता है ब्लैक बजट
ब्लैक बजट का सीधा सा अर्थ यहा है कि जब सरकार का खर्च उसकी कमाई की तुलना में बहुत ज्यादा होता है जिस वजह से सरकार पिछले साल के मुकाबले बजट में कटौती करती है, उसे ब्लैक बजट कहा जाता है
सूखा और पाकिस्तान का युद्ध बना वजह
1973-74 के बजट को इसी वजह से ब्लैक बजट कहा जाता है। भारत ने दो साल पहले ही पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा था और फिर देश में सूखा पड़ गया था। इस वजह से सरकार ने आजाद भारत का पहला और एकमात्र ब्लैक बजट पेश किया था।
आम बजट को संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत संसद में पेश किया जाता है एवं अंतरिम बजट को अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है।