कांग्रेस की राह पर बीजेपी, तोड़ेंगी ये परंपरा, 17 साल बाद होगा ऐसा? अटकलें तेज़
भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर एक बार फिर खींचतान शुरू हो गई हैं। बता दें कि बजट सत्र के पहले ही दिन अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। ऐसे में बार फिर इस पद को लेकर नाम सामने आने लगे हैं। संभावना है कि 22 फरवरी को अध्यक्ष और 23 फरवरी उपाध्यक्ष चुना जा सकता हैं।
वहीं, भाजपा अध्यक्ष पद के साथ ही उपाध्यक्ष पद भी अपने पास रखने की बात कर रहीं हैं। कांग्रेस की तरह बीजेपी भी दोनों पद अपने पास रखने की तैयारी में हैं। BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा साफ कह चुके है कि कांग्रेस ने मप्र विधानसभा में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव की परंपरा तोड़ी थी और दोनों पद अपने पास रखे थे, इसलिए बीजेपी भी दोनों पद अपने पास रखेगी, इसलिए उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को नहीं दिया जाएगा।
खबरों की मानें तो विधानसभा अध्यक्ष का पद 17 साल बाद विंध्य के खाते में जाने वाला हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम और केदारनाथ शुक्ला में से किसी एक का नाम इस पद के लिए तय हाेगा। जबकि अटकलें लगाई जा रही है कि जातिगत समीकरणों को देखते हुए उपाध्यक्ष का पद बुंदेलखंड के खाते में जा सकता हैं। सुत्रों की माने तो बीजेपी अनुसूचित जाति के विधायक को उपाध्यक्ष बना सकती हैं।
हालांकि विधायकों की संख्या अधिक होने की वजह से दोनों पद कांग्रेस के खाते में आए थे। इसमें निर्दलीय, सपा और बसपा विधायक भी शामिल थे।लेकिन अब स्थिति अलग है और गेंद बीजेपी के पाले में है, ऐसे में यदि मतदान की नौबत आती है तो इस बार दोनों पद BJP के हिस्से में आ सकते हैं। ऐसे में चर्चाएं जोरों पर है कि आखिर विधानसभा का उपाध्यक्ष कौन होगा?
इधर, सूत्रों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का नाम तय करते समय मंत्रिमंडल की बची हुई सीटों को भी भरने के लिए नाम तय हो सकते हैं। इसकी पीछे बड़ी वजह यह है कि विंध्य में अध्यक्ष पद जाता है तो यहां से मंत्री पद के दावेदार राजेंद्र शुक्ला, नागेंद्र सिंह नागोद, नागेंद्र सिंह गुढ़ की राह मुश्किल हो जाएगी। वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में 30 मंत्री है और अधिकतम 34 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता हैं। इसमें नाराज नेताओं को एडजस्ट करने की तैयारी की जा रही हैं।