बड़ी ख़बर जबलपुर : किसान ने प्रदेश सरकार से तंग आकर लगाई फाँसी 

बड़ी ख़बर जबलपुर से : किसान ने प्रदेश सरकार से तंग आकर लगाई फाँसी 
  
जहाँ एक ओर प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज अपने आप को किसान पुत्र कहते है। वही दूसरी ओर उन्ही के राज्य में किसानो की आत्महत्या का दौर अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है । ताज़ा मामला जबलपुर ज़िले से सामने आ रहा हैं जहा किसान ने अपने ही खेत में प्रदेश सरकार द्वारा पिछले साल सरकारी सोसायटी में गेहूँ खरीदी का 141 कट्टी का पैसा न मिलने से तंग आकर मज़बूरन फाँसी लगा ली। 

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शासकीय योजना सम्बंधित हितग्राही तक पहुँचाने के दावे तो बहुत किये जाते हैं लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त में ये सभी दावे पूर्ण रूप से धराशायी नजर आते हैं ,यहीं वजह हैं कि जबलपुर जिले के सैकड़ो किसान आज भी अपनी गेहूँ और धान ख़रीदी के पैसे के लिए सम्बंधित अधिकारियों  के दफ्तरों में दर -दर की ठोकरे खाकर आत्महत्या को मजबूर हैं। 

क्या हैं पूरा मामला ??
दरअसल मृतक किसान जबलपुर जिले के पनागर तहसील के गाँव बम्हनौदी का है। मृतक किसान का नाम राजेश पटेल है जो कि अपने परिवार का इकलौता सहारा था। उसके पास अपने परिवार का पालन -पोषण करने के लिए खेती ही एकमात्र सहारा था। जहा उसने पिछले साल प्रदेश सरकार के द्वारा की गई गेहूं खऱीदी में मृतक किसान राजेश पटेल द्वारा सोसायटी नुनिया कला केंद्र कोहना-कोहनी में लगभग 70 क्विंटल गेहूं (141 कट्टी ) बेचा था। जिसका भुगतान मृतक किसान को नहीं हुआ था। मृतक किसान के पिता लक्ष्मीप्रसाद पटेल ने बताया कि गेहूं का भुगतान नहीं होने से वह मानसिक रूप से लगातार परेशान रहता था। उसने जो गेहूं सोसायटी को बेंचा था वह रिजेक्शन (अमान्य) में डाल दिया गया था। भुगतान को लेकर उसने उच्च अधिकारियों तक  कई बार गुहार लगाई लेकिन कहीं भी उसकी सुनवाई नहीं हुई आखिकार किसान का सब्र जवाब दे गया औऱ मेरे बेटे ने मौत को गले लगा लिया। 

DMO पर किसानो ने लगाए गंभीर आरोप 
भारतीय किसान संघ के भरत पटेल ने आरोप लगाया है कि जबलपुर में जिले के सैकड़ो का भुगतान रुका हुआ है। जिसके ज़िम्मेदार विपणन संघ के जिला प्रबंधक विवेक तिवारी है इन्ही के कारण किसान को यह कदम उठाना पड़ा। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष रमेश पटेल ने आरोप लगाया कि जब गेहूं और धान ख़रीदी के दौरान शासन द्वारा ग्रेडर और सर्वेयर नियुक्त होते है तो कैसे किसानो का गेहूं और धान रिजेक्शन में डाल दी जाती है। पूरी खरीदी में     
नीचे से लेकर उच्च अधिकारी भ्रष्ट्राचार में लिप्त है जिसका खामयाजा किसान मौत को गले लगा रहा है। 

क्या कहते हैं जिम्मेदार। ..??
जब  “द लोकनीति “ ने इस मामले में जबलपुर कलेक्टर भरत यादव से किसान आत्महत्या को लेकर बात की तो उन्होंने कहा 
मृतक किसान के नाम पर ज़मीन नहीं है उनके पिता के नाम जमीन थी उन्होंने धान बेचीं थी जिसका भुगतान हो गया था। पिता के नाम पर 3 लाख का कर्जा था जो की उन्होंने जून में चुकाया भी है, बाकी गेहूं की ख़रीदी इनके नाम से नहीं हुई हैं। मृतक किसान के पिता ने बताया कि वे खेती सिकमी (ठेका ) से करते थे। इनका गेहूं रिजेक्शन में चला गया था जिसके भुगतान की प्रक्रिया चल रही हैं।  फ़िलहाल पुलिस पूरे मामले की जाँच कर रही है।

भरत यादव कलेक्टर जबलपुर

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