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व्यापम घोटाला 2:- आखिर कब मिलेगी इस घोटाले की जांच रिपोर्ट? सभी जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी, जानें पूरा मामला 

व्यापम घोटाला 2:- आखिर कब मिलेगी इस घोटाले की जांच रिपोर्ट? सभी जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी, जानें पूरा मामला 

द लोकनीति डेस्क : गरिमा श्रीवास्तव 
 मध्यप्रदेश में व्यापम परीक्षा में एक बार फिर से  बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. पीईबी द्वारा कराई गई कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी की परीक्षा में यह बड़ा घोटाला सामने आया.
 जब परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया तो यह पता चला है कि 10 विद्यार्थियों के एक ही जैसे नंबर है और उनकी गलतियां भी एक ही जैसी है.
 बता दें कि पीइबी द्वारा यह परीक्षा 11 और 12 फरवरी को कराई गई थी.
 जिन 10 लोगों के नंबर एक जैसे आए हैं और सभी की गलतियां एक जैसी है वह सभी 10  चंबल क्षेत्र से हैं. और 9 लोग एक ही जाति के हैं.


 जब यह पूरा मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं.
 इस पूरे मामले पर शिकायतकर्ता रमेश सिंह तोमर ने सवाल उठाए हैं कि सामान्य ज्ञान की परीक्षा में फुल मार्क्स मिले लेकिन जब पीईबी का आंसर शीट घोषित किया गया तो तीनों सवालों के जवाब दिए. जो परीक्षार्थी टॉप स्कोरर हैं उनकी भी वही तीनों सवाल गलत है. यह बात अब जांच के बाद ही सामने आएगी की यह एक संयोग है या कोई बड़ा घोटाला किया गया है.
2013 में हुए व्यापम घोटाले का नाम भले ही बदलकर पीईबी कर दिया हो लेकिन व्यवस्थाओं में बिल्कुल सुधार नहीं हुआ. इस मामले में व्यवस्था के खिलाफ अभ्यर्थियों आक्रामकता को देखते हुए कृषि कल्याण मंत्री कमल पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश तो दे दिए हैं. पर अभी तक इस जांच की रिपोर्ट सामने नहीं आई. बता दें कि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के 867 पदों के लिए भी इन्हीं ने बीते फरवरी माह में परीक्षा आयोजित किए थे इस परीक्षा में शामिल हुए करीब 9 विद्यार्थी सबसे ज्यादा अंक लाने में सफल रहे विवाद की जड़ भी यहीं से सामने आई है क्योंकि परीक्षा एजेंसी की कार्य पद्धति और सरकार की व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए एक अन्य परीक्षार्थी राधेश्याम जाट ने आरोप लगाया है कि सुनियोजित तरीके से मोटी रकम लेकर इन सब को परीक्षा प्रश्न पत्र मुहैया कराया गया है.

 विवादों में घिरे छात्रों का नाम है शिवकुमार शर्मा,मनीष शर्मा, जितेन शर्मा, रविंद्र शर्मा, निवेश शर्मा,दीपक कुमार पीपल,दीपक रावत, संजय शर्मा, और बलराम त्यागी…
 इस पूरे मामले को लेकर पीईबी परीक्षा में हुए गड़बड़ी को देखते हुए विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा करने में जुट गया है. कुणाल चौधरी ने कहा कि यह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है

 

जानकारी के मुताबिक टॉपर्स में शामिल एक उम्मीदवार को मैथ्स में पूरे मार्क्स मिले हैं जबकि बीएससी में वह सांख्यिकी में 4 बार फेल हुआ था और 8 साल में उसकी डिग्री पूरी हुई थी..

इस पूरे घोटालों पर यह बात समझ में आ रही है कि इस भर्ती में बहुत से ऐसे संयोग हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

17 फरवरी को इस परीक्षा की आंसर शीट के साथ सफल उम्मीदवारों की संभावित लिस्ट भी जारी की गई. जब परिणाम आया तो पता चला कि वरीयता सूची में शीर्ष 10 स्थान हासिल करने वाले सभी अभ्यर्थी एक ही कॉलेज से हैं.
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आरोप लगाने वाले एक छात्र ने कहा कि सभी टॉपर कृषि कॉलेज में निचले दर्जे के छात्र थे. हमेशा बैक लगता रहा है. व्यापमं की तरफ से आंसर की जारी होने के बाद से ही ये लोग हॉस्टल से गायब हैं. साथ ही ये लोग दूसरे छात्रों को भी नौकरी के लिए ऑफर देते थे.
भर्ती परीक्षाओं में इस तरह की धांधली से नाराज छात्र प्रदेश में जगह-जगह आंदोलन कर रहे हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. एक वीडियो में छात्र फरवरी 2020 में दिल्ली में भाजपा नेताओं द्वारा लगाए गए ‘गोली मारो…’ जैसे नारे घोटालेबाजों के लिए लगाते नजर आ रहे हैं.
अमर उजाला के अनुसार, व्यापमं की ओर से इस परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी एनएसईआईटी कंपनी को दी गई थी. यह कंपनी पहले भी धांधली के आरोपों से घिरी रही है.

2017 में उत्तर प्रदेश की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में गड़बड़ियों के चलते एनएसईआईटी को ब्लैकलिस्ट किया गया था. इस बार टॉप 10 में शामिल उम्मीदवारों को 200 में 195 और 194 अंक मिले हैं, इस परीक्षा के इतिहास में इतने नंबर किसी को नहीं मिले.
सबसे पहले वर्ष 2013 में व्यापम घोटाला सामने आया था।  व्यापमं घोटाला गिरोहबाजों, अधिकारियों और सियासी नेताओं की कथित सांठ-गांठ से राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है.

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल अथवा व्यापमं राज्य में कई प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार द्वारा गठित एक स्व-वित्तपोषित और स्वायत्त निकाय था. इसके द्वारा राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित की जाती थीं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन यानि ५ मार्च को छात्रों ने रैली निकली और सोशल मीडिया पर विडियो पोस्ट करते कहा की मामा का मटकी बजा  happy birthday …हम ऐसी हुकार भरेंगे 
शिवराज मामा जाए डोल
व्यापम घोटाले के विरुद्ध
युवा अब हल्ला बोल……. 

व्यापमं द्वारा मध्य प्रदेश की विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए ली गईं भर्ती परीक्षाओं एवं प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में पिछले कई वर्षों में कथित रूप से अनियमितता कर करोड़ों रुपये के घोटाले हुए और इसमें तत्कालीन मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव (अब दिवंगत) भी घिर गए थे.

उनके अलावा इस घोटाले में अनेक पेशेवर व्यक्ति, मंत्री, नेता, नौकरशाह, दलाल एवं छात्र अभियुक्त हैं. इनमें से एक मंत्री सहित कुछ लोग जेल भी रह चुके हैं.

दैनिक भास्कर की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने व्यापमं घोटाले 1 में 170 एफआईआर दर्ज की थीं. इनमें से 143 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, 7 मामलों की जांच जारी है. रिपोर्ट के अनुसार, इससे जुड़े केसों में 2500 से ज्यादा लोग आरोपी हैं, जिनमें से करीब 1000 परीक्षार्थी हैं. जुलाई 2015 से सीबीआई इस घोटाले की जांच कर रही है.

व्यापमं द्वारा आयोजित प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आने के बाद तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इसका आधिकारिक नाम बदलकर मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (एमपीपीईबी) कर दिया था.
व्यापम घोटाला २ को  लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। नारेबाजी करते हुए उन्होंने कहा की पहले लड़े थे गोरों से अब लड़ेंगे चोरों से। ….
 

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