अतिथि विद्वान लगा रहें गुहार ! मांग पूरी कर दो शिवराज

भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव :-कोराना(Corona) काल में लॉक डाउन(Lockdown) बढ़ता जा रहा है और साथ ही बढ़ती जा रही है फॉलेन आउट(FallenOut) से बेरोजगार हो चुके अतिथि विद्वानों की मुश्किलें। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में अतिथि विद्वान विशेष रुप से फॉलेन आउट अतिथि विद्वान बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं अतिथि विद्वानों (AtithiVidwan)को लोक सेवा आयोग द्वारा की गई विवादित सहायक प्राध्यापक भर्ती के कारण फॉलेन आउट कर बेरोजगार कर दिया गया था। अतिथि विद्वान कई महीनों से अपने रोजी-रोटी को पुनः प्राप्त करने और नियमितीकरण के लिए आंदोलनरत थे।वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh chauhan)भी अतिथि विद्वानों के आंदोलन में समर्थन देने पंडाल में पहुंचे थे और जल्द से जल्द अतिथि विद्वान नियमितीकरण की मांग उठाई थी। पूरा प्रदेश जानता है कि अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर ही सिंधिया जी ने सड़क पर उतरने की बात कही थी और इसी मुद्दे पर सरकारें बनी और बिगड़ी हैं। लेकिन अतिथि विद्वानों के समस्या जस की तस बनी हुई है। हमें शिवराज जी पर पूरा भरोसा है कि अतिथि विद्वानों की लंबित मांग को शीघ्र पूरा करेंगे। शायद लॉक डाउन के चलते अतिथि विद्वानों को की सेवा में वापसी का आदेश आज तक जारी नहीं हो पाया है, सरकार को अति गंभीर  मानते हुए सेवा बहाली का आदेश जारी करना चाहिए।
मुख्यमंत्री अतिथि विद्वान नियमितीकरण के पक्ष में:-
अतिथि विद्वान संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडे बताते हैं कि उमरिया जिले के अतिथि विद्वान संजय कुमार ने 11 फरवरी को अनिश्चित भविष्य के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी तब शिवराज सिंह जी चौहान ने इसके लिए तत्कालीन सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और ट्वीट कर कहा था कि अतिथि विद्वान आखिर कब तक नियमितीकरण का इंतजार करते रहेंगे,अतिथि विद्वानों का परिवार अब भाजपा का परिवार  है ।आशीष पांडे ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी अतिथि विद्वान नियमितीकरण अवश्य करेंगे, कोरोना संकट के चलते थोड़ा समय लग सकता है। निवेदन है कि फॉलन आउट अतिथि विद्वानों को अतिशीघ्र सेवा में वापस लेकर उन्हें बेहद गंभीर आर्थिक हालात एवं मानसिक अवसाद से बाहर निकालें।

सामाजिक कार्यकर्ता ने लिखा मुख्यमंत्री के नाम पत्र:

विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संकट के दौर फॉलेन आउट अतिथि विद्वान बेहद दयनीय हालत में जीवन जी रहे हैं। उज्जैन के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं एडवोकेट डॉ पी एन तिवारी ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों के लिए मार्च-अप्रैल के न्यूनतम मानदेय भुगतान की मांग की है। जिससे इस मुश्किल दौर में फॉलेन आउट अतिथि विद्वान भी अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।

रोजी के बिना रोजा:-
 फॉलन आउट अतिथि विद्वान लटेरी रकीब अहमद ने कहा कि मैं शासकीय महाविद्यालय लटेरी ने विगत 5 वर्षों से अतिथि विद्वान ग्रंथपाल के रूप में कार्यरत था 5 महीने से बेरोजगार कर दिया गया हूं।रोजी रोटी का कोई दूसरा साधन नहीं, लॉक डाउन के चलते मजदूरी भी नहीं कर सकता, परिवार का भरण पोषण मुश्किल है। रमजान पाक महीने में मुल्क की सलामती के लिए दुआ करता हूं ।पर बेरोजगारी और गरीबी के  आलम में अफ़सोस  के साथ कहना पड़ रहा है कि कि सहरी और इफ्तारी के लिए भी मुझे रिश्तेदारों का मोहताज रहना पड़ता है।

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