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भोपाल : AIIMS अस्पताल के हाल हुए "बेहाल", शेड के नीचे लगी मरीज़ों की 1km तक की लंबी कतार, काउंटर खुलते ही मच रही अफरा-तफरी

  • ओपीडी से लेकर आंकोलॉजी डिपार्टमेंट तक मरीज़ों की लगी लंबी कतार
  • डेढ़ घंटे में ही स्लॉट फुल, दर-दर भटक रहें मरीज़ 
  • 12 घंटे इंतजार के बाद तीन बार अलग-अलग लाइन में लगकर डॉक्टर तक पहुंच पा मरीज़

भोपाल : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित सबसे बड़े सरकारी अस्पताल “आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस” (एम्स) के हाल बेहाल है। कोरोना के बाद से ही यह हाल है की मरीज 12 घंटे इंतजार के बाद तीन बार अलग-अलग लाइन में लगकर डॉक्टर तक पहुंच पा रहा है। हालत ये है की शेड के नीचे कतार बनाकर कई लोग इस उम्मीद में बैठे रहते है कि सुबह डॉक्टर के पास जल्दी नंबर आ जाएगा। 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार यहां मंगलवार रात 10 बजे से बुधवार सुबह छह बजे तक ओपीडी से लेकर आंकोलॉजी डिपार्टमेंट तक मरीज़ों की कतार करीब एक किमी तक थी।

मरीज़ों को इंतजार था तो सिर्फ ओपीडी खुलने का। लेकिन, सुबह 8:30 बजे जैसे ही काउंटर खुला तो अफरा-तफरी मच गई। डेढ़ घंटे में ही स्लॉट फुल। गार्ड ने एनाउंसमेंट कर दिया कि कार्डियोलॉजी, ईएनटी यानी नाक कान गला के मरीजों का अब पंजीयन नहीं हो पाएगा। बाकी डिपार्टमेंट में इलाज कराने आए मरीजों में से भी महज 30% ही तीन घंटे में पंजीयन हो सका। 

वहीं, इस पुरे मामले पर जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अरनीत अरोरा का कहना है की अभी थोड़ा दबाव तो है। मरीजों की संख्या क्षमता से कहीं अधिक है। प्रबंधन इस बात पर विचार कर रहा है कि कैसे मरीजों को कम इंतजार करना पड़े।

लोगों ने सुनाई आपबीती 

  • जैसे ही सुबह 10 बजे गार्ड ने माइक पर एनाउंसमेंट किया ईएनटी और कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में पंजीयन पूरे हो गए है, तो मंडीदीप से आई शकुन बाई रोने लगी। बोली कि भैया हम तो सुबह पांच बजे आ गए थे। पांच घंटे से भूखे-प्यासे लाइन में लगे हैं। अब कह रहे हैं कि कल आओ। लोग गार्ड के पीछे अपने पर्चे लेकर घूम रहे थे कि हमारा पंजीयन करवा दो।

 

  • भोपाल (कोटरा) के शिवकांत अपने बेटे को लेकर आए। इनके बेटे को मिर्गी की परेशानी थी। मां पर्चे लेकर इधर-उधर चक्कर लगाती रही। पिता बेटे को संभाल रहे थे। लेकिन उसे दौरा पड़ने लगा। मुश्किल से इन्हें भीतर जाने दिया।

 

  • ऐसे ही यूपी के प्रेम कुमार अपने पिता को लेकर रात 10 बजे एम्स आ गए थे। सुबह 8.30 बजे प्रेम काउंटर से महज 100 मीटर की दूरी पर थे, लेकिन 10 बजे यह दूरी एक दिन और बढ़ गई, क्योंकि कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में स्लॉट फु़ल हो गए थे।

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