भोपाल के खटलापुरा हादसे की जांच पूरी हुई, परंतु अभी तक नहीं आई विसरा रिपोर्ट
- आज तक इस मामले में 11 मृतक बच्चों की विसरा रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आई है??
- घटना अंतर्गत प्रथम दृष्टया कौन-कौन जिम्मेवार माना जा रहा है??
- उक्त घाट पर बड़ी मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगा दी गई थी. तो क्या इसका कोई आदेश जारी हुआ था ?? और अगर आदेश था तो फिर वहां पर क्रेन क्यों रखवाई गई थी??
- कितनी नावों में जीवन रक्षक जैकेट थी एवं उक्त घटना के दौरान यह पूरा दस्ता कहां था??
भोपाल से विवेक पांडेय / आयुषी जैन की रिपोर्ट : भोपाल के दुःखद खटलापुरा हादसे कि आज फाइनल जांच रिपोर्ट सामने आई है,जिसमें जांच समिति द्वारा भव्य सवाल किया गया कि यह हादसा कैसे हुआ था ?? क्या आपको इसकी जानकारी थी, तो इसके जवाब में ज्यादातर ड्यूटी कर रहे पुलिस वालों ने यही कहा कि हम तो ड्यूटी ही कर रहे थे.
आपको बता दें कि इस मामले में सागर स्थित लैब से अभी तक विसरा रिपोर्ट नहीं आई है. जिसकी वजह से यह जांच अटकी हुई है. वही चारों नाविकों ने यह कहा है कि उन्होंने न केवल मना किया था बल्कि क्रेन संचालकों से किसी भी तरह के रुपए भी नहीं मांगे थे यानि समझ में जो मामला यह आ रहा है कि उसमें सबसे बड़ी बात यह है किन जिम्मेदार लोगों ने किसी भी तरह की जिम्मेदारी का वाहन करने से पूरी तरह से इंकार कर दिया है.
आपको बता दें कि इस मामले में अभी तक लगभग 50 से ज्यादा पुलिस के जबाब प्रशासन से जुड़े हुए मुख्य लोग नगर निगम भोपाल के मुख्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बयान भी लिए जा चुके हैं. परंतु कहीं से भी मामले की जिम्मेवारी अथवा दूसरे शब्दों में यह समझा जाए कि अपने-अपने बयानों से सिर्फ मामले को रफा-दफा करने हेतु ही शब्द शाह बयान सामने आ रहे हैं.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठना लाजमी भी है, वह यह है कि यदि जब सभी अधिकारी कर्मचारी अपनी अपनी ड्यूटी का वह बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कर रहे थे तो फिर इतना बड़ा हादसा हुआ तो हुआ कैसे और आज तक इस मामले में 11 मृतक बच्चों की विसरा रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आई है??
क्योंकि यही रिपोर्ट मजिस्ट्रेट जांच में शासन को सौंपी जानी है।
चलिए आपको बताते हैं कि किन-किन प्रमुख बिंदुओं पर यह मजिस्ट्रेट जांच हुई है।
सबसे पहले उक्त हादसे में सभी प्रशासनिक जिम्मेवारी संस्थान अर्थात नगर निगम जिला प्रशासन भोपाल पुलिस एनडीआरएफ की क्या सीधे तौर पर भूमिका थी एवं घटना अंतर्गत प्रथम दृष्टया कौन-कौन जिम्मेवार माना जा रहा है??
दूसरा सवाल यह है कि जब उक्त घाट पर बड़ी मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगा दी गई थी. तो क्या इसका कोई आदेश जारी हुआ था ?? और अगर आदेश था तो फिर वहां पर क्रेन क्यों रखवाई गई थी??
इसके साथ ही साथ नगर निगम भोपाल की तरफ से विसर्जन कार्य को लेकर कितने गोताखोरों की व्यवस्था करवाई गई थी एवं कितनी नावों में जीवन रक्षक जैकेट थी एवं उक्त घटना के दौरान यह पूरा दस्ता कहां था??
साथ ही ड्यूटी पर तैनात तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों ने नाव में खो रहे गणेश विसर्जन को तत्काल प्रभाव से क्यों नहीं रोका एवं फिर भी यदि ऐसा हो रहा था तो इसकी सूचना किसे प्रदान की गई
यदि उक्त घाट में अवैध नाव का संचालन भी हो रहा था तो इसकी जांच क्यों नहीं की गई ?? इसे क्यों नहीं रोका गया ?? इसे कौन करा रहा था??
विसर्जन के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए शासन प्रशासन की तरफ से क्या-क्या इंतजाम किए गए थे??
हम आगामी समय में इस तरह की कोई भी घटना न हो इसके लिए क्या प्रयास कर सकते हैं?
गौरतलब है, जांच के दौरान पुलिस को यह सूचना कब प्राप्त हुई कि कितने लोग डूब गए हैं एवं उक्त सूचना प्राप्त होते ही पुलिस प्रशासन द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई??
तो यह वह तमाम तरह के सवाल थे जिसको की मजिस्ट्रेट जांच में शामिल किया गया एवं इसी के अंतर्गत तमाम जांच प्रक्रिया पूरी की गई परंतु सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि सागर से आने वाली वह विसरा रिपोर्ट का क्या हुआ एवं वह रिपोर्ट कब तक प्राप्त होगी जिसको कि मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया जाना है।