भोपाल: सभी एमओ को स्पष्ट किया गया है कि रैफर नहीं करना-छवि भारद्वाज, एनएचएम एमडी ये मुमकिन नहीं हैं कि सभी मरीजों को रैफर करने से रोका जा सके। प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री
भोपाल: सभी एमओ को स्पष्ट किया गया है कि रैफर नहीं करना-छवि भारद्वाज, एनएचएम एमडी
ये मुमकिन नहीं हैं कि सभी मरीजों को रैफर करने से रोका जा सके। प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री
नीद से जागे स्वास्थ्य मंत्री ‘प्रभुराम’ सीएचएमओ और सिविल सर्जन को हटाया ! अब प्रदेश के मुखिया ‘शिवराज’ कब करेंगे जांच टीम पर कार्रवाई ?
भोपाल/राजकमल पांडे। ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश में मासूम बच्चों की मौत एक सैलाब सा आया है, इस पर प्रदेश के बडे-बडे विशेषज्ञ अपना सर पटक रहे हैं कि आखिर लापरवाही हो कहां रही हैं. अपितु महज खानापूर्ति के नाम पर विषेषज्ञ भी अपना सर पटक के सो जाते हैं। और प्रदेष सरकार खानापूर्ति के नाम पर जांच करवा रही है. हालांकि प्रदेश सरकार को अच्छे से ज्ञात है कि सरकारी ढांचों रूप में खडा प्रदेश का स्वास्थ्य व्यवस्था ही बेहतर है. गर न होता तो जब प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कोरोना पाॅजीटिव आए थे, तब वह सरकारी अस्पताल में भर्ती न होकर प्राईवेट अस्पताल में भर्ती होना बेहतर समझा।
प्रदेश के दो जिम्मेदार पदों बैठे लोगों से एक बयान सामने आ रहे हैं, जहां एनएचएम एमडी छवि भारद्वाज का कहना है कि ‘‘सभी एमओ को स्पष्ट किया गया है कि रैफर नहीं करना।’’
तो वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि ‘‘ये मुमकिन नहीं हैं कि सभी मरीजों को रैफर करने से रोका जा सके।’’
अब एक और मामला शहडोल जिले के बुढ़ार से आ रहा हैं. जहां मंगलवार 8 दिसंबर को एक महीने के बच्चे ने दम तोड दिया। अमलाई के निवासी मनोज ने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में एमडी निरीक्षण करने आने वाली थी. इस वजह से बिना इलाज के ही हमें बाहर भगा दिया गया।
स्वास्थ्य केन्द्रों में अफसरों की टीम के पहुंचने के पहले बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) में चार महीने के मासूम बच्चे की मौत हो गई। इस परिजनों ने कहा कि छवि भारद्वाज का निरीक्षण है बोलकर मेरे बच्चे को भर्ती नहीं किया। सीएचसी बुढ़ार के चिकित्सक डाॅ. निषांत मिश्रा ने कहा कि परिजन बच्चें को मृत अवस्था में लेकर आए थे. मैंने और बीएमओ ने बच्चे का चेकअप किया. उसकी रास्ते में ही मौत हो चुकी थी. बच्चे की मौत पर एनएचएम एमडी ने कहा कि वे डाॅक्टरों से जानकारी लेंगी।
इस बीच मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी शहडोल संभाग के चिकित्सालय निरीक्षण के दौरे पर थे.जहां मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) डाॅ. राजेश पांडे और सिविल सर्जन डाॅ. व्ही.एस. बारिया को मौके से ही तत्काल हटाने के निर्देष दिए हैं. आपको बता दें कि पूर्व में 6 बच्चों की मौत की मामले भी डाॅ. राजेष पांडे हटाए जा चुके हैं. अपितु डाॅ. पांडे पुनः शहडोल जिला चिकित्साल में पदस्थ हो गए थे.
छुपाया गया मासूम के मौत का आंकडा
पिछले 1 या 2 सप्ताह के भीतर जिन 13 मासूम बच्चों के मौत का मामला सामने आ रहा था. उस मौत के आंकडों में भी स्वास्थ्य विभाग ने गोलमाल कर डाला. जहां 13 मासूम बच्चों की मौत का आंकडा स्वष्ट कर रहे थे वहां 18 मासूम बच्चे जान गंवा चुके थे।
जांच टीम पर कब बैठेगी जांच
शहडोल जिला चिकित्सालय 18 मासूम बच्चों की मौत की वजह पता करने हेतु जांच टीम जबलपुर मेडिकल काॅलेज से भोपाल के निर्देष से भेजे गए थे। जिसमें जांच अधिकारी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल काॅलेज जबलपुर के सीनियर डाॅक्टर पवन घनघोरिया और असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅक्टर अखिलेन्द्र सिंह परिहार जिन्होने अपनी जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य आयुक्त डाॅ. गोयल को सौपी जिसे डाॅ. गोयल ने वह जांच रिपोर्ट नेशनल हेन्थ मिशन की एमडी छवि भारद्वाज को यह कहके सुपुर्द कर क्लीन चिट दिया कि शहडोल के डाॅक्टरों ने बच्चों को बचाने हेतु पूरे प्रयास किए हैं ?
अब बडा सवाल यह है कि जब जांच टीम व स्वास्थ्य आयुक्त ने शहडोल के डाॅक्टरों को क्लीन चिट दे दिया कि डाॅक्टरों ने बच्चों को बचाने के पूरे प्रयास किए, तो स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कैसे सीएमएचओ डाॅ. राजेश पांडे व सिविल सर्जन डाॅ. व्ही.एस. बारिया को तत्काल पद से हटाने के निर्देष दे दिए। इससे साफ जाहिर है कि 18 मासूम बच्चों की जान से खिलवाड शहडोल जिला चिकित्सालय डाॅक्टरों ने किया. और उस पर क्लीन चिट भी सवाल खडा करती है कि आखिर जांच अधिकारियों ने किसके कहने व निर्देषों का पालन करते हुए दोषियों को बचाने का प्रयास कर रहे थे. जाहिरन इस पर कोई बड़ा राज छुपा हुआ जिसकी सूक्ष्म रूप से जांच कराई जानी चाहिए. जिससे यह स्पष्ट हो सके की आखिर जांच अधिकार किसके इशारों पर नाच रहे थे.