भोपाल: अब सागर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आई सामने ! शिवराज जी, अब जनता का दम घुटता है ?
भोपाल/राजकमल पांडे। अगर पूरे मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की जांच हो जाए तो प्रदेश सरकार की पोल खुल जाए, अपितु सरकारों की पोल खोल सके ऐसे किसी जांच टीम में हिमाकत थोडी न है. वह तो जिन्दगी और मौत से जूझते हुए मासूम अस्पतालों में सरकारों की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. बडा सवाल यह है कि आखिर सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गंभीर क्यों नहीं जबकि शासकीय कोष से स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर पर्याप्त धन निकाले व खर्च किए जा रहे हैं. फिर जिन्दगियां क्यों काल के गाल में समा रही हैं. शहडोल और सतना में स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई है और प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था होने का दावा करने वाले सरकार भी फिस्डी साबित हो गई है. और अब सागर के बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज में बडी लापरवाही सामने आई है, जहां बजट की कमी बताकर मात्र 15 लाख के दो स्टेबलाइजर नहीं खरीद पाए. सागर के बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज में रविवार की रात करीब 12.30 बजे वोल्टेज की गडबड़ी के कारण सिक न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट (एसएनसीयू) में मौजूद सभी 10 वाॅर्मर बच्चों को दवा देने वाले इंफ्यूजन पंप और वेंटिलेटर में फाॅल्ट हो गया. मशीनें बंद होते ही नर्सिंग स्टाफ व डाॅक्टरों ने आनन-फानन में 17 नवजातों को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में षिफ्ट किया. सुबह 4 बजे तक शिफ्ंटग पूरी हुई. जिससे जिला चिकित्सालय में वाॅर्मर पर लोड बढ़ गया क्यों जिला चिकित्सालय में 22 वाॅर्मर ही हैं जिस पर सोमवार सुबह 48 बच्चे भर्ती थे. कई वाॅर्मर में तो 3-3 बच्चे भर्ती करने की नौबत आ गई. इसके बाद वाॅर्मर सप्लाई करने वाली कंपनी से इंजीनियर बुलवाए. फिर सोमवार की सुबह वाॅर्मर वापस ठीक किए गए बीएमसी के शिशु रोग विभाग एचओडी डाॅ. आशीष जैन का कहना है कि एनआईसीयू में स्टेबलाइजर नहीं होने के कारण यह फाॅल्ट हुआ? सूत्रों से ज्ञात हुआ कि अगस्त माह में वार्ड शुरू होने से पहले उपकरण खरीदी के प्रस्ताव में स्टेबलाइजर के ही मशीनें संचालित हो थीं. इस पर डाॅ. आरएस वर्मा प्रभारी डीन बीएमसी ने कहा कि स्टेपलाइजर पहले क्यों नहीं खरीदे गऐ इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं हैं.