भोपाल: गांधी मेडिकल काॅलेज – फीस जमा, हाॅस्टल तैयार बावजूद इसके एक कमरे में रहने को मजबूर महिला जूनियर डाॅक्टर !

भोपाल: गांधी मेडिकल काॅलेज – फीस जमा, हाॅस्टल तैयार बावजूद इसके एक कमरे में रहने को मजबूर महिला जूनियर डाॅक्टर !
भोपाल/राजकमल पांडे। गांधी मेडिकल काॅलेज (गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल, जीएमसी) जो कि मध्यप्रदेश व भारत के सबसे पुराने काॅलजों में से एक है. व ऐसे काॅलेज जहां सुविधा और व्यवस्था के नाम क प्रदेश में ठिढोरा पिटा है, गांधी मेडिकल काॅलेज से एमबीबीएस और पीजी कर रही छात्राओं ने एडमिशन के समय ही अपनी हाॅस्टल की फीस जमा कर दी है. बावजूद इसके उन्हें ही ब्लाॅक हाॅस्टल में कमरें अलोट नहीं हुए हैं. वहीं कुछ छात्राएं ऐसी हैं जो जीएमसी के गेस्ट हाउस के कमरों में एक साथ पांच-छह रहने को मजबूर रहे हैं. जबकि कोरोना महामारी के बीच ऐसी लापरवाही जान पर बन सकती है जबकि सरकार और हेल्थ डिपार्टमेन्ट देश की विकट परिस्थितियों से अच्छी तरह परिचित है. अपितु काॅलेज प्रबंधन को इस संबंध में कई बार शिकायत करने के बावजूद भी काॅलेज प्रबंधन महिला जूनियर डाॅक्टरों के रहने की व्यवस्था पर गंभीर नही हैं। पर वहीं जीएमसी के डीन, डाॅ. अरूण कुमार कहते हैं कि ‘‘हाॅस्टल में फिनिषिंग का काम अधूरा है, काम पूरा होते ही हाॅस्टल में छात्राओं को रूम आवंटित किया जायेगा.’’
हमीदिया अस्पताल में इलाज न मिलने और तमाम अव्यवस्थाएं तो हैं साथ ही राजधानी के गांधी मेडिकल काॅलेज से हर साल 150 से 200 डाॅक्टर तैयार होकर निकलते हैं, लेकिन डाॅक्टरों को तैयार करने वाले प्रदेश के इस सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान में पढ़ाई करने वाले जूनियर डाॅक्टर कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं.