भोपाल में बढ़ता कोरोना का कहर आज 262 नए केस मिले, कुल मामलो में आधो को नही पता कैसे हुआ कोरोना
भोपाल/आयुषी जैन : राजधानी भोपाल में कोरोना का कहर थमने का नाम नही ले रहा है । भोपाल में कोरोना में मामलो में लगातार बढ़ोतरी हो रही है । सितंबर माह में नौवे दिन लगातार 200 से ज्यादा मामले सामने आए है । पिछले 24 घंटे में 262 नए केस मिले है और 3 मौते हुई है । नौ दिन में कुल 262 मामले सामने है और 28 मौते हो चुकी है ।
कुल मिलाकर अबतक राजधानी भोपाल में 13244 कोरोना पॉजिटिव मिल चुके है लेकिन आश्चर्यजनक बात है कि कुल मामलों में से आधे यानी 6052 लोगो को यह नही पता चला कि उन्हें कोरोना कैसे हो गया, न तो किसी संक्रमित के संपर्क में आये न ही इनकी कॉन्टैक्ट हिस्ट्री मिल पाई है । जिसकी वजह से कई और लोगो के संक्रमित होने की आशंका साफ जाहिर हो रही है ।
यह खुलासा स्वास्थ्य मंत्रालय की भोपाल कोविड पेशेंट कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग रिपोर्ट से हुआ है। इसके मुताबिक 13244 मरीजों के संपर्क में 59374 थे। इनमें 50923 सिम्टोमेटिक (जिनमें लक्षण दिखे) थे। वहीं 8884 मरीज हाई रिस्क श्रेणी के थे। स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों ने बताया कि जिन 6052 मरीजों की कॉन्टैक्ट हिस्ट्री नहीं मिल रही, उनसे शहर में हजारों लोगों को संक्रमण फैसले की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
भोपाल के साथ साथ प्रदेश के अन्य राज्यो में भी कोरोना अपने पैर पसार रहा है । प्रदेश में लगातार दूसरे दिन 1800 से ज्यादा (1864) नए संक्रमित मिले। कुल संक्रमित 77232 हो गए हैं। खास बात ये है कि एक जुलाई को 2625 एक्टिव केस थे, जो अब आठ गुना बढ़कर 17205 हो गए हैं। यह आंकड़ा अब तक का सर्वाधिक है। इनमें भी सर्वाधिक चार हजार एक्टिव मरीज इंदौर में हैं। मंगलवार को कुल 22 हजार 597 सैंपल जांचे गए, इसलिए संक्रमण दर में सोमवार की 8.2% की तुलना में कोई इजाफा नहीं हुआ।
कैबिनेट बैठक के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि अभी भी कोविड सेंपल के टेस्ट और इलाज नि:शुल्क ही हो रहे हैं। केंद्र की आयुष्मान योजना के तहत जिन अस्पतालों में इलाज हो रहा है, वहां तो पैसा नहीं लगेगा। जहां आयुष्मान योजना लागू नहीं है, मसलन कोई शासकीय मेडिकल कॉलेज है, वहां मरीजों को बिल दिया जाएगा। वह स्वेच्छा से जितना देना चाहे दे सकेगा ।
राजधानी भोपाल में अब निजी अस्पताल और नर्सिंग होम में भी कोरोना का इलाज हो सकेगा। लेकिन इसके लिए जो भी इलाज में खर्च होगा वो संबंधित व्यक्ति को उठाना होगा । कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि निजी अस्पताल कोरोना वार्ड बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें कोविड-19 में जारी गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी जानकारी दें।