सभी खबरें

भोपाल : मप्र में बर्ड फ्लू की दस्तक, मचा हडकंप प्रदेशभर में अलर्ट

भोपाल : मप्र में बर्ड फ्लू की दस्तक, मचा हडकंप प्रदेशभर में अलर्ट

  • मृत पाए गए कौवों को 6 फीट गहरे गड्‌ढे में किया गया दफन
  • वेटरनरी विभाग के डॉक्टर और निगम की टीम ने मोर्चा संभाला

भोपाल लैब में कराई गई थी जांच
बीते तीन दिनों में 50 कौओं की मौत से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था. लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इतनी ज्यादा संख्या कौओं की मौत हो गई. मौत के सही कारणों का पता चल सके, इसलिए पशु चिकित्सा विभाग ने भोपल लैब में जांच कराई थी, जिसके बाद दो कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई.

सभी जिलों को किया अलर्ट
पशु चिकित्सा विभाग के डायरेक्टर डॉ. आरके रोकड़े ने बताया कि बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है. साथ ही लोगों से कुछ दिनों तक चिड़िया घरों में भी नहीं जाने की अपील की जा रही है.

भोपाल/राजकमल पांडे। कोरोना वायरस के कहर के बीच बर्ड फ्लू का नया खतरा पैदा हो गया है. राजस्थान के बाद इंदौर के डेली कॉलेज में बड़ी संख्या में कौवे मृत पाए गए हैं। अब तक कॉलेज परिसर में 83 कौवे मर चुके हैं. इनमें से कई में वायरस का संक्रमण पाया गया है. हालांकि प्रारंभिक जानकारीनुसार यह वर्ड फ्लू का टाइप तो है, लेकिन वह टाइप नहीं है, जो दूसरे को भी संक्रमित करे।

वेटरनरी विभाग के डॉक्टर और निगम की टीम ने मोर्चा संभाल लिया है. जांच के दौरान पाया गया कि कौवों की मौत एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा से हुई है. एच5एन1 से लेकर एच5एन5 टाइप तक वाला वायरस घातक बर्ड फ्लू होता है, जो एक पक्षी से दूसरे पक्षी में फैलता है. वर्तमान में जिस वायरस से कौवों की मौत हुई है, वह केवल कौवों तक ही सीमित है.

कौवों की मौत का मामला सामने आने के बाद शनिवार को वेटरनरी विभाग के डॉक्टर और निगम की टीम डेली कॉलेज पहुंची. कुछ कौवों की जांच में एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा का वायरस मिला है.

डेली कॉलेज में 29 दिसंबर को पहली बार कुछ कौवे मृत मिले थे. इसकी सूचना मिली तो स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे। पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक पीके शर्मा ने बताया कि मृत कौवों के सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजे गए थे. इधर, शुक्रवार को 20 कौवों की मौत के अगले दिन फिर से 13 कौवे मृत मिले.

वही पशु चिकित्सक डॉ. देवेंद्र पोरवाल के मुताबिक, बर्ड फ्लू कोराइजा बीमारी का रूप है, जो पक्षियों, मुर्गियों की ऊपरी श्वास नलिका को प्रभावित करती है. इसे एक तरह का निमोनिया भी कह सकते हैं. ये आमतौर पर जनवरी-फरवरी में ही फैलती है. 7-8 साल पहले इसके मामले आने शुरू हुए थे. सबसे ज्यादा सतर्कता पोल्ट्री फॉर्म में बरतना होगी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button