कीटनाशक दवाओं ने बासमती किसानों पर खड़े किए संकट के बादल!
बासमती किसान पर कीटनाशक दवाओं ने खड़े किए संकट के बादल !
आखिर खेती कैसे बनेगी लाभ का धंधा?
(वरिष्ठ पत्रकार आलोक हरदेनिया की फेसबुक वॉल से..)
खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की माली हालत सुधारने के लिए सरकारे तमाम योजनाएं लागू करती रहती है । उसके बाद भी क्यो किसान की खेती लाभ का धंधा नही बन पा रही है।
इस साल मानसून में खूब बारिश हुई । यह बारिश धान के लिए वरदान साबित हुई । किसानों के चेहरे पर बारिश और फसल की अच्छी ग्रोथ के कारण रौनक देखने को मिली।
लेकिन चावल की सबसे बेहतरीन प्रजाति यानी बासमती पैदा करने वाले किसानों के लिए मंडी के ताजा भाव निराशा और हताशा पैदा कर रहे है। अच्छे मुनाफे की बाट जोह रहे इन किसानों की उम्मीदों पर एक बार फिर बासमती धान के कम दाम मिलने से पानी फिरता दिख रहा है। खतरनाक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग के कारण यूरोपियन संघ के बाद अब सऊदी अरब ने भी भारत से आयात होने वाले बासमती चावल पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पेस्टिसाइड केप लगा दिया है ।
पहले यूरोप अब साउदी……
पहले यूरोपीय संघ ने बासमती चावल में फंफूदीनाशक ट्रासाइक्लाजोल के लिए अवशेष सीमा कम कर 0.01 एमजी (मिलीग्राम) प्रति किलो निर्धारित किया था वहीं अब सऊदी फूड एंड ड्रग अथॉरिटी (SAUDA) ने नई गाइडलाइंस के तहत बासमती धान में कीटनाशकों के प्रयोग को 90 फीसदी तक कम करने को कहा है।
मध्यप्रदेश की टॉप 5 मंडियों में शुमार पिपरिया मंडी में बासमती के दाम:
पिपरिया मंडी में 3 से 4 दिन पहले पूसा बासमती धान की खरीदी व्यापारी 2200 रु से लेकर 2350 रु तक खरीद रहे थे । सोमवार को वही धान के रेट में 200 रु तक कि गिरावट देखी गई। और पूसा बासमती धान अधिक्तम 2160 रु के मूल्य पर व्यापारियों द्वारा खरीदी गई। वही पूसा बासमती धान को खेत मे बोवनी करने से लेकर फसल को खेत से काटकर मंडी में विक्रय हेतु लाने में एक एकड़ पर लगभग22 हजार की लागत आ जाती है। वही पूसा बासमती का एक एकड़ भूमि में उत्पादन औसत 15 किवंटल आता है। वही बात करे क्रांति धान की इसका प्रदेश सरकार ने 1815 रु समर्थन मूल्य तय किया है। इसकी खरीदी प्रदेश सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से करेगी।
निर्यात में आयेगी गिरावट ……….
किसी भी वस्तु के दाम मांग और आपूर्ति के तहत ही बाजार में तय होते है। जब वस्तु की आवक ज्यादा और मांग कम होगी तो दामो में गिरावट भी होगी । ऐसा ही कुछ हाल इस समय पूसा धान का है। चावल मिल मालिक अनिल माहेश्वरी के मुताबिक पहले कीटनाशक का केप यूरोप ने लगाया और अब साउदी ने भी वही केप लगा दिया है। साउदी देश का यह केप 31 दिसम्बर के बाद से प्रभावशाली हो जायेगा। देश मे पैदा होने वाले चावल का लगभग 48 फीसदी निर्यात ईरान और ईराक को होता है। चावल व्यापारियों को आगे निर्यात का कोई अच्छा भविष्य नही दिख रहा है। इसी वजह से धान के भावों में गिरावट आ रही है।
जैविक खेती ही समाधान …….
अभी हाल ही में जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पी,के, बिसेन होशंगाबाद जिले के दौरे पर एक कार्यक्रम में शामिल होने आये थे । और उन्होंने कहा था। कि अब समय आ गया है। कि किसान को रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती करना चाहिए । अगर किसान ने रासायनिक कीटनाशक खेती नही छोड़ी तो आने वाली संताने तकलीफ दायक रूप से पैदा होंगी। जैविक खेती करके उत्पादन किये हुए अनाज से प्रकृति पर्यावरण और मानव शरीर सभी निरोगी रहेंगे। होशंगाबाद जिले के जिला कृषि उपसंचालक अधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि हम बहुत से किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते है।