इस बार बसंत पंचमी 29 जनवरी 2020 को है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को सरस्वती की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था। पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था। इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति प्रकट हुई वह सरस्वती देवी कहलाईं। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों में वाणी मिल गई।
पीले और सफेद रंग के फूलों से पूजा
जिस दिन शब्दों में वाणी मिली थी वह दिन बसंत पंचमी का था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का दिन भी माना जाता है। शास्त्रों के हिसाब से ये काम करें तो आपके विद्या और बुद्धि में विस्तार होगा। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनना चाहिए और मां सरस्वती की पीले और सफेद रंग के फूलों से पूजा करनी चाहिए। बसंत पंचमी के दिन यदि कोई छात्र मां सरस्वती की अराधना करे, उनके मंत्र का जाप करे या कोई अन्य उपाय करे तो मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
5 वो कार्य निम्न हैं-
अपनी किताबों में बसंत पंचमी के दिन मोर पंख जरूर रखना चाहिए, मान्यता है कि इससे पढ़ने में मन लगता है, पढ़ाई पर फोकस भी बढ़ता है.
बच्चों की बुदि्ध तेज करने के लिए बसंत पंचमी के दिन से ही ब्राह्मी, शंखपुष्पी या मेधावटी देना आरंभ करना चाहिए।
जिन बच्चों को हकलाने या बोलने में दिक्कत होती है उन्हें इस दिन बांसुरी के छेद से शहद भरकर उसे मोम से बंद कराकर जमीन में गाड़ देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों के बोलने की दिक्कत दूर होती है। बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर बच्चों को अपनी हथेलियां देखनी चाहिए। मान्यता है कि हथेली में मां सरस्वती का वास होता है जिनकों देखना मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर होता है।