बड़वानी से हेमंत नागझिरिया की रिपोर्ट – कोई भी व्यक्ति जीवन में कभी भी अपनों से अलग होना नहीं चाहता हैं। पर कई बार ऐसी परिस्थितिया बन जाती है जब सारे जतन के बाद भी उसे अपनो से न चाहते हुये भी अलग होना पड़ता है। ऐसा ही आपसी मनमुटाव 80 वर्षीय खरगोन निवासी कृष्णकांत के जीवन में 1 वर्ष पूर्व घटित हुआ। जब उन्होंने किसी बात पर रुष्ट होकर अपने इकलौते बेटे अश्विन का साथ छोड़ दिया और बड़वानी में सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा आशा ग्राम में संचालित अपना घर ‘‘ वृद्ध आश्रम ‘‘ में आकर रहने लगे।
अपना घर पहुंचने पर संगीत प्रेमी कृष्णकांत अपना खाली समय माउथ ऑर्गन बजाकर एवं समाचार पत्र पढ़कर गुजारने लगे। साथ ही वे आशादीप आनंद क्लब एवं आशादीप सोशल किड्स फोर्स के सदस्यों की मनोरंजक गतिविधियों में भी भाग लेने लगे। एक दिन अचानक बुजुर्ग कृष्णकांत अपने अतीत के खयालों में ऐसे खोये कि उनके दैनिक क्रियाकलाप ही बदल गई । जिसके कारण वे गुमसुम रहने लगे। वृद्ध की यह दशा, आश्रम में किसी को भी अच्छी नहीं लगी, सभी उन्हें पुनः खुश रखने का जतन करने लगे।
इसके तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरा लीगल वालंटियर सचिन दुबे ने जब वृद्ध को विश्वास में लेकर उनके पुत्र से दूरभाष पर चर्चा कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया तब पिता-पुत्र के बीच व्याप्त मनमुटाव का बीहड एकाएक सजीव हो उठा।
खरगोन निवासी पुत्र कार लेकर आशा ग्राम पहुचा और समिति के पदाधिकारियों की उपस्थिति में अपने पिता से क्षमा याचना कर सारे गिले शिकवे दूर किये। देखने वाले भी अपने आसुओं को रोक नही पाये जब पिता ने सहर्ष पुत्र का हाथ थाम कर, उसके साथ घर जाने के लिये कार में बैठ गये।
ट्रस्ट के सचिव डाॅ. शिवनारायण यादव ने बताया कि हमारा प्रयास रहता है कि आश्रम में आने वाले बुजुर्ग, जल्दी से जल्दी अपने परिवार में वापस चले जाये। इसके लिये वृद्धजनो की जहाॅ सतत काउसंलिंग की जाती है, वही उनके परिजनो से भी मोबाइल के माध्यम से सतत सम्पर्क बनाये रखा जाता है। जिसके कारण अभी तक वृद्ध आश्रम से तीन बुुजुर्ग वापस अपने घर पहुंच गये हैं।