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Ayodhya Verdict : राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष का दावा क्यों हुआ खारिज ? जानिए क्या है वजह

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद (Rammandir Babri Masjid Dispute) को लेकर फैसला सुनाकर अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया गया है | दरअसल, कोर्ट द्वारा विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी गई है | कोर्ट ने अपने फैसले में कुछ बड़ी बातें कही हैं | सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा विचार करने योग्य है | लेकिन, एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है | एएसआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था | हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि एएसआई ने ये नहीं कहा है कि विवादित परिसर में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई | 

कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर गौर करने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज किया | पांच जजों की बेंच द्वारा फैसला सुनाते हुए कहा गया कि मुसलमानों ने विवादित परिसर से कभी कब्जा नहीं खोया, वो परिसर पर प्रतिकूल कब्जे (adverse possession) के अधिकार का दावा नहीं कर सकते | बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सामने ये सवाल खड़ा हुआ है कि क्या सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित परिसर पर मालिकाना हक का दावा adverse possession के आधार पर कर रहा है | adverse possession का मतलब यह होता है कि किसी भी प्रॉपर्टी पर शत्रुतापूर्ण कब्जा कर लिया जाए, इस स्थिति में प्रॉपर्टी पर कब्जा लगातार, बिना किसी व्यवधान के शांतिपूर्ण रहना चाहिए | 

मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण 400 साल पहले बाबर ने करवाया था | अगर ये मान भी लिया जाए कि मस्जिद का निर्माण उस स्थान पर किया गया था, जहां पहले मंदिर बना हुआ था, फिर भी मुसलमानों का लंबे समय तक उस स्थान पर कब्जा रहा था |  मस्जिद के बनने से लेकर उसके विध्वंस तक | मुस्लिम पक्ष adverse possession के आधार पर विवादित परिसर पर दावा कर रहे थे | 

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के इस दावे को खारिज किया | यहां तक की इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में दो जजों की यही राय थी | इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में भी जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा था कि विवादित परिसर पर मुस्लिम पक्ष adverse possession के आधार पर कब्जे का दावा नहीं कर सकते |  क्योंकि ये खुली जगह थी और मुसलमानों के साथ कोई भी आदमी उस स्थान पर जा सकता था | कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक कब्जा करके रखने का मतलब ये नहीं होता है कि ये प्रतिकूल कब्जे के दायरे में आता हो | 

वहीं हिंदू पक्ष इस बात को साबित करने में कामयाब रहा है कि विवादित परिसर के बाहरी इलाके में वो लगातार पूजा अर्चना करते रहे हैं | विवादित परिसर के अंदरुनी हिस्से पर विवाद बना रहा |

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