अयोध्या विवाद मामला : हिंदू-मुस्लिम पक्ष के वकील में छिड़ी तीखी बहस…. 

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की आखिरी सुनवाई 

अदालत में मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष के वकीलों में तीखी बहस 

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की आखिरी सुनवाई जारी है | बुधवार को शाम 5 बजे तक अंतिम दलीलें समाप्त होनी है, अब तक रामलला, निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा के वकील अपनी दलीलें समाप्त कर चुके हैं | इसी दौरान, बुधवार को अदालत में मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष के वकीलों में तीखी बहस छिड़ गई |

दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन द्वारा इस दौरान फैसले के अनुवाद पर सवाल खड़े किए गए | उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा द्वारा अनुवाद को जायज ठहराया गया और एक पैरा पढ़ा, लेकिन हम उन्हें पहले सुन चुके हैं | वहीं, बाबर के द्वारा मस्जिद के निर्माण के लिए ग्रांट और लगान माफी देने के दस्वावेज़ हैं | इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना है कि ग्रांट से आपके मालिकाना हक की पुष्टि कैसे होती है?

वहीं, राजीव धवन ने कहा कि ज़मींदारी और दीवानी के ज़माने को देखें तो जमीन के मालिक को ही ग्रांट मिलती थी | राजीव धवन ने कहा कि इनकी दलील मूर्खतापूर्ण है, क्योंकि इनको भूमि कानून की जानकारी नहीं है | इसपर पीएन मिश्रा का कहना है कि उन्होंने लैंडलॉज पर दो किताबें लिखी हैं और आप कह रहे हैं कि मुझे कानून नहीं पता | इस पर राजीव धवन ने कहा कि आपकी किताबों को सलाम, उनपर पीएचडी कर लें | 

राजीव धवन ने हिन्दू पक्षकारों की दलीलों का जवाब देते हुए कहा कि यात्रियों की किताबों के अलावा इनके पास टाइटल यानी मालिकाना हक का कोई सबूत नहीं है | उन्होंने कहा कि इनकी विक्रमादित्य मंदिर की बात मान भी लें तो भी ये रामजन्मभूमि मंदिर की दलील से मिलान नहीं खाता | आगे उन्होंने कहा कि 1886 में फैज़ाबाद कोर्ट कह चुका था कि वहां हिन्दू मन्दिर का कोई सबूत नहीं मिला है, हिंदुओं द्वारा उसे चुनौती भी नहीं दी गई |

वहीं, राजीव धवन द्वारा इस दौरान भारत के इतिहास के बारे में बताया गया, उन्होंने कहा कि भारत में आर्यन के समय से लोग आते रहे हैं |  कई लोग हजारों साल तक यहां पर रहे थे, भारत एक नहीं था, बल्कि कई हिस्सों का जुड़ाव था | उन्होंने कहा कि शिवाजी के समय हिंदुस्तान में राष्ट्रवाद बढ़ा | 
 

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