सभी खबरें

"शिव राज"को मिल गया सिंहासन,अतिथि विद्वानों के हिस्से अब भी केवल आश्वासन!

“शिव राज”को मिल गया सिंहासन,अतिथि विद्वानों के हिस्से अब भी केवल आश्वासन!
अतिथि विद्वानों का दर्द आख़िर क्या भूल गए महाराज सिंधिया?

भोपाल :- पिछले 25 वर्षों से अपने नियमितीकरण की बाट जोह रहे प्रदेश के उच्च शिक्षित अतिथि विद्वान् लेकिन आज तक जितनी भी सरकारें बनी है सिर्फ़ अतिथि विद्वानों पर राजनीति की है झूठा वादा किए हैं सत्ता का सुख पाए हैं लेकिन नियमितीकरण नहीं किए।मध्य प्रदेश के महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों का संघर्ष आज किसी से छुपा नहीं है।अतिथि विद्वानों के नाम पर ही सत्ता मिली बिगड़ी फिर मिली ऐसा खेल पिछले दो दशकों से चला आ रहा है लेकिन आज तक अतिथि विद्वानों का कल्याण नहीं हो पाया।आज प्रदेश का सबसे उच्च शिक्षित वर्ग अतिथि विद्वानों का दर दर ठोकरें खाने को मजबूर है।संघ के अध्यक्ष वा मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के कहा की पिछले दो दशकों से अतिथि विद्वान अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन सरकार सिर्फ़ जब विपक्ष में रहती हैं तो विद्वानों का दुख दर्द दिखता है और जैसे ही सत्ता मिलती है तो टाल मटोल करने लगते हैं।आदरणीय सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी से आग्रह है कि वो हमारे संघर्ष को जानते हैं इसके साक्षी रहें हैं और हमारे चर्चित आंदोलन में भी आए थे और वादा किए थे कि पहली ही कैबिनेट में अतिथि विद्वानों को नियमित कर तोहफ़ा देंगे लेकिन अभी तक उस तोहफ़े के इंतजार में कई अतिथि विद्वान काल के गाल में समा गए हैं इसलिए आग्रह है कि तत्काल अतिथि विद्वानों को नियमित कर लगातार होती आत्महत्या को रोकें और हम सब अतिथि विद्वानों का पुनर्वास करें।
5 महीने से कैबिनेट से मंजूरी के बाद 450 पदों का वित्त विभाग से पृष्ठांकन न हो पाना समझ से परे
मोर्चा वा संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने बताया कि अभी 1800 अतिथि विद्वान व्यवस्था से बाहर है पिछले 9 महीने से,सरकार ने प्रकिया शुरू की है अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेने के लिए लेकिन देखने वाली बात है कि कितने विद्वान साथी व्यवस्था में आ पाते हैं।क्योंकि वित्त विभाग में कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद भी 450 पद रोक दिए गए हैं।डॉ पांडेय ने आग्रह किया है सरकार से की तत्काल 450 पद इसी प्रक्रिया में जोड़ा जाए जिससे बाहर हुए अतिथि विद्वान व्यवस्था में आ सकें।ये 450 पदों को पिछली सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी थी सिर्फ़ वित्त में पिछले 5 महीने से पृष्ठांकन में रुकी है जो की समझ से परे है।


मध्य प्रदेश वासी अतिथि विद्वानों का पुनर्वास करें महाराज और शिवराज
मध्य प्रदेश के वासी अतिथि विद्वानों को नियमित कर जीने का अधिकार दें महाराज शिवराज।मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने सरकार से गुहार लगाई है कि अब देरी ना करें महाराज शिवराज।अतिथि विद्वानों को तत्काल नियमित कर अपना वादा पूरा करें  क्योंकि लगातार हो रही अतिथि विद्वानों को आत्महत्या सरकार पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button