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लगातार मुश्किलों का सामना कर रहे अतिथिविद्वान, आखिर कब मिलेगा न्याय?

लगातार मुश्किलों का सामना कर रहे अतिथिविद्वान, आखिर कब मिलेगा न्याय?

भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव:- यह कटु सत्य है कि सत्ता की लड़ाई में प्रदेश के महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। जब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी उस समय वर्तमान भाजपा सरकार विपक्ष में रहकर इनका पक्ष ले रही थी। अब जब कांग्रेस विपक्ष में है और भाजपा सत्ता में है तो कांग्रेस इनका पक्ष ले रही है। इस तरह सत्ता के इस खेल में इन उच्च शिक्षितो का जीवन बर्बाद हो रहा है। पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने विधानसभा से लेकर मीडिया जगत में इनकी सेवा में वापसी और नियमितीकरण के लिए बात रखी है। लेकिन जब वे स्वयं उच्च शिक्षा मंत्री थे उस समय इनके पदों पर बगैर जांच के विवादित सहायक प्राध्यापक भर्ती को अंजाम दे दिया था। जिसके विरोध में अतिथि विद्वानों ने दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक प्रदेश व्यापी आंदोलन भोपाल के शाहजहांनी पार्क में किया था। उस समय कमलनाध सरकार का कोई भी नुमांईदा इनका हालचाल जानने नहीं गया था। लेकिन वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान, डाॅ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव आदि इनके आंदोलन स्थल पर गए थे। गोपाल भार्गव ने तो अतिथि विद्वान संजय कुमार द्वारा नौकरी की टेन्शन में आत्महत्या कर लेने के कारण एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता उनकी पत्नी आशा देवी को दी थी।

परंतु अब भाजपा सरकार में ही अतिथि विद्वान अजय त्रिपाठी, राकेश चौहान और गोविंद प्रसाद प्रजापति ने भी अनिश्चित भविष्य और 15 माह से फाॅलेन आउट रहने के कारण आत्महत्या कर ली, फिर भी सरकार ने कुछ नहीं किया है। जबकि इस व्यवस्था को विगत 15 वर्षों से भाजपा सरकार भी चला रही है। जब अतिथि विद्वान व्यवस्था में 80, 100 और 120 रूपए प्रति कालखण्ड की दर थी उस समय ज्यादातर लोग इसमें काम करना उचित नहीं समझते थे। परंतु अतिथि विद्वानों ने अल्प मानदेय में इस व्यवस्था को संभाला है, फिर भी नियमित भर्ती में इनके लिए केवल 5 प्रतिशत बोनस अंकों का ही लाभ दिया गया था। जिसका हर्जाना वह अब तक भोग रहे हैं।

वर्तमान में भी नियमित भर्ती की वेटिंग लिस्ट से इनके पदों पर नियुक्ति जारी है। जिससे कई लोग फाॅलेन आउट होते जा रहे हैं। 600 के करीब तो विगत 15 माह से फाॅलेन आउट है। उनके दुखी जीवन के लिए भी हर दिन बहाने बनाए जा रहे हैं। 450 नवीन स्वीकृत पदों का पृष्ठांकन तो विगत 15 महीने से नहीं हुआ है।

 अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी का इस बारे में मत है कि, आखिर कब तक हमें बीच मझधार में झुलाया जाएगा। अब तो हमारे अन्य सेवा में जाने के रास्ते भी बंद हो चुके हैं। शीघ्र ही शिवराज सरकार को हमारी ढा़ई दशक की सेवा को देखते हुए कोई भी उचित निर्णय ले लेना चाहिए।

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