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कोरोना से भी भयावह त्रासदी झेल रहे हैं फॉलन आउट अतिथि विद्वान, 9 माह से चल रही है सिर्फ जुमलेबाजी!

कोरोना से भी भयावह त्रासदी झेल रहे हैं अतिथि विद्वान, 9 माह से चल रही है सिर्फ जुमलेबाजी, अतिथि विद्वान हित में कोई फैसला नहीं 

 भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:- कोरोना महामारी के बीच फॉलन आउट अतिथि विद्वान इससे भी भयावह त्रासदी झेल रहे हैं. वह लगातार नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं, पर अभी तक उनके हित में कोई भी फैसला नहीं लिया गया है.

 अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डॉक्टर सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि फॉलन आउट अतिथि विद्वान जब अपनी शिकायत लेकर  अधिकारी के पास पहुंचते हैं तो वह उन्हें मंत्रियों के पास भेजते हैं और मंत्री कहते हैं मुख्यमंत्री के पास जाइए. 

 जब सत्ता में कमलनाथ की सरकार थी तो शिवराज सिंह चौहान ने धरना स्थल पर पहुंचकर कहा था कि उनकी सरकार आते ही अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण जल्द से जल्द कराया जाएगा पर शिवराज सिंह चौहान की सरकार आए भी लगभग 5 महीने हो गए पर अतिथि विद्वानों के हित में कोई भी फैसला नहीं लिया गया है. 

 अतिथि विद्वानों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात कही थी कि इस महामारी के दौरान किसी को भी सेवा से बाहर न किया जाए तो प्रदेश सरकार अतिथि विद्वानों के साथ यह अहित कब तक करेगी.?

 डॉक्टर भदौरिया ने कहा कि क्या उच्च कुर्सियों पर आसीन आप सभी यह जवाब दे सकते हैं कि जो फॉलन आउट अतिथि विद्वान यह दंश नहीं झेल पाए उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है? 

 स्थिति बिगड़ती ही जा रही है और ऐसा लग रहा है कि जैसे कहीं फिर से कोई अतिथि के द्वारा आर्थिक स्थिति से जूझते जूझते अपने आप को मौत के मुंह में ना ढकेल ले. 

 अब देखना यह होगा कि अतिथि विद्वानों के हित में अब कितने दिन में फैसला लिया जाएगा. हालांकि इसका जवाब देने में अभी सरकार ने चुप्पी साध रखी है जबकि शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि आप सभी का नियमितीकरण कराया जाएगा टाइगर अभी जिंदा है और उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी भाजपा में शामिल हो गए और उन्होंने कहा कि अब एक टाइगर नहीं दो-दो टाइगर प्रदेश में आ गए हैं.

 

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