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दशकों से उच्च शिक्षा संभाल रहे महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं कर पाई सरकार      

दशकों से उच्च शिक्षा संभाल रहे महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं कर पाई सरकार      

सरकारी उदासीनता के कारण फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों के घर दिवाली में भी अंधेरा
एक तरफ सारा समाज दिवाली की तैयारियों में व्यस्त है तो दूसरी तरफ फालेन आउट अतिथि विद्वानों के घर में अंधेरा और मातम पसरा हुआ है।पिछले 25 वर्षों से उच्च शिक्षा की रीढ़ रहे महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों को आज तिल तिल मरना पड़ रहा है,पिछले 10 महीने से बेरोज़गारी का दंस झेल रहे हैं।कई अतिथि विद्वान तो मौत को भी गले लगा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी सुनवाई तक नहीं हो पाई है।जैसा की विदित है कि लगातार विवादों में घिरी सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2017  की नियुक्ति बिना जांच के हुई और इस विवादित नियुक्ति के कारण अतिथि विद्वान नौकरी से बाहर हुए।संघ के अध्यक्ष वा मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा कि आज भी हजारों अतिथि विद्वान बेरोज़गारी के कारण लगातार मौत को गले लगा रहें हैं लेकिन सरकारी उदासीनता बरक़रार है।उच्च शिक्षा विभाग से च्वाइस फीलिंग का पत्र भी कुछ दिन पहले जारी किया गया था लेकिन बिना कारण बताए हटा लिया गया और प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई।सरकार से अनुरोध है कि बाहर हुए अतिथि विद्वानों को तत्काल व्यवस्था में लेने की प्रक्रिया शुरू करें।
800 पद रिक्त होते हुए भी फ़ालेन आउट विद्वानों को नियुक्ति ना देना समझ से परे
संघ के मिडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने सरकार से विनम्रता के साथ गुहार लगाते हुए कहा है कि जहां दिवाली के दिन पूरे देश प्रदेश में खुशियां मनाई जाएगी हर्षोल्लास के साथ वहीं प्रदेश का सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों का वर्ग लगातार बेरोज़गारी का दंस झेलते हुए आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।आर्थिक बदहाली वा अनिश्चित भविष्य के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है।बिना देरी किए हुए 10 महीने से बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लीजिए और पुनर्वास करें।मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वान जो वर्षों से उच्च शिक्षा को अपने खून पसीने से दसको से सींचते आ रहे हैं लेकिन आज तक सरकार इनके उद्धार के लिए एक भी कदम नहीं उठाई है।सरकार तत्काल अतिथि विद्वानों के साथ न्याय करे।450 पदों की कैबिनेट से मंजूरी भी 8 महीने पहले ही हो चुकी है इसलिए सरकार इस पर तत्काल संज्ञान ले और विद्वानों के हित में ठोस कदम उठाए


आख़िर कब होगा महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के साथ न्याय
संघ के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि अतिथि विद्वानों के साथ न्याय न कर पाना समझ से परे है जबकि वर्तमान,निवर्तमान हुक्मरानों को सरकार चलाने का लाइसेंस जनता में अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर ही दिया है।सत्ता में आते ही अतिथि विद्वानों को भूल जाना एक परम्परा सी हो गई है।सरकार से अनुरोध है कि तत्काल अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करें और अपने किए हुए वादों को पूरा करें।

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