अतिथिविद्वानों ने की मांग, कहा “अतिथि विद्वानों के पदों को भरा मानते हुए ट्रांसफर/पोस्टिंग करे सरकार
भोपाल:-सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में दो दशक से ज्यादा समय से सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वानों के सामने अब रोजी रोटी का संकट आने लगा है,अब उच्च शिक्षा विभाग ने एक जुलाई से नियमित प्राध्यापकों का ट्रांसफर करना शुरू कर दिया है जिससे अतिथि विद्वानों की रोजी रोटी पर संकट के बादल छाने लगे हैं,सरकार के तरफ़ से अतिथि विद्वानों के हित में आज तक एक कदम भी नहीं उठाया गया है।संघ के अध्यक्ष व मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने बताया की सरकार अतिथि विद्वानों के लिए कोई नीति आज तक नहीं बनाई है,अब नियमित प्राध्यापकों का ट्रांसफर कर रही है जिससे अतिथि विद्वान फिर फॉलेन आउट होंगे और फिर आत्महत्या करने पर मजबूर होंगे।सरकार से मांग हैं की जिस पद में अतिथि विद्वान सेवा दे रहे हैं उन पदों को भरा मानते हुए सरकार ट्रांसफर करे।
देश के हर मुद्दे को सुलझाने वाली भाजपा अतिथि विद्वानों का मुद्दा क्यों नहीं सुलझा पा रही:-
आज देश के बड़े बड़े मुद्दों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सुलझा दिया है लेकिन महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मुद्दा आज तक नहीं सुलझा पाई है जो बेहद चिंताजनक है।उक्त बातें संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है।उन्होंने आगे कहा की धारा 370 और राम मंदिर जैसे जटिल मुद्दों को बीजेपी ने सुलझाया है लेकिन पिछले दो दशकों से उच्च शिक्षा में अपना जीवन दांव में लगाकर अनिश्चित भविष्य,आर्थिक बदहाली के बाद भी उच्च शिक्षा में सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों का भविष्य सरकार सुरक्षित नहीं कर पाई है जिससे अतिथि विद्वान बेहद निराश होकर लगातार मौत को गले लगा रहें हैं।डॉ पांडेय ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा की जिन पदों में अतिथि विद्वान सेवा दे रहे हैं उन पदों को भरा मानते हुए सरकार ट्रांसफर या पोस्टिंग करे साथ ही अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर बनी बीजेपी की सरकार नियमित कर वादा निभाए।आज जहां एक जुलाई को 11 बजे सुबह री काल हुआ अतिथि विद्वानों का तो वहीं शाम 5 बजे विभाग ने ट्रांसफर करते हुए बाहर किया अतिथि विद्वानों को जिससे सभी विद्वान् स्तब्ध रह गए।सरकार स्पष्ट नीति बनाए।
500 अतिथि विद्वान हैं फालेन आउट;ट्रांसफर कर और विद्वानों को बेरोजगार करेगी सरकार?
वरिष्ठ अतिथि विद्वान डॉ जेपीएस चौहान ने सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान व शासन प्रशासन से मीडिया के माध्यम से अनुरोध करते हुए कहा है की अतिथि विद्वानों की पीड़ा समझिए,लगातार होती आत्महत्या को देखिए और मानवीयता के आधार पर निर्णय लीजिए।आज भी बहुत सारे अतिथि विद्वान बेरोजगार हैं उनको तक अब तक सेवा में वापस नही लिया गया है।न 450 पदों की स्वीकृति दी गई न ही फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों को सेवा में वापस लिया गया और फिर से अतिथि विद्वानों को बाहर करने में सरकार आमादा है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।आखिर कब तक अतिथि विद्वान यूं ही बेरोजगारी और बदहाली के साए में घुटते रहेंगे।सरकार से अनुरोध है की बाहर हुए अतिथि विद्वानों को तत्काल व्यवस्था में लेते हुए भविष्य सुरक्षित करने की कोई ठोस नीति बनाई जाय।