आर्थिक तंगी से परेशान होकर एक और अतिथि शिक्षक ने लगाई फांसी, 3 दिन में अतिथि शिक्षक द्वारा दूसरा आत्महत्या का मामला
आर्थिक तंगी से परेशान होकर एक और अतिथि शिक्षक ने लगाई फांसी, 3 दिन में अतिथि शिक्षक द्वारा दूसरा आत्महत्या का मामला
- जिस स्कूल में पढ़ा था था उसी स्कूल में फंदे से झूल गया अतिथि शिक्षक
- नियमितीकरण की मांग को लेकर 3 दिन पहले एक महिला अतिथि शिक्षक ने की थी आत्महत्या
- कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर साधा निशाना
रतलाम:- प्रदेश में शिक्षक आर्थिक तंगी से परेशान होकर लगातार सरकार के सामने गुहार लगा रहे थे पर सरकार ने जब नहीं सुने उसको एक और अतिथि शिक्षक ने आत्महत्या कर ली.
रतलाम के छत्री गांव में कार्यरत अतिथि शिक्षक राजेंद्र पाटीदार का शव रविवार को उसी स्कूल में फांसी पर झूलता मिला जिसमें वह पढ़ाया करते थे.तीन दिन में अतिथि शिक्षक द्वारा आत्महत्या का यह दूसरा मामला सामने आया है।
शुरूआती जांच में पुलिस को राजेंद्र की जेब से 2 पेज का सुसाइड नोट मिला है। पुलिस के मुताबिक सुसाइड नोट पर राजेंद्र पाटीदार ने मानसिक परेशानी का जिक्र किया है।
जान देने से पहले राजेंद्र ने अपने भाई बालमुकुंद को फोन कर घर नहीं आने का कहा था साथ में यह भी कहा था कि उसकी तलाश मत करना। इसके बाद अनहोनी की आशंका के चलते बालमुकुंद स्कूल पहुंचा तो राजेंद्र फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला.
बताते चलें कि तीन दिन में यह अतिथि शिक्षक द्वारा आत्महत्या का यह दूसरा मामला है। राजेंद्र पाटीदार से पहले अलीराजपुर जिले में एक महिला शिक्षक केलबाई भिंडे ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।
सरकार से नियमितीकरण की गुहार लगा रही थी लेकिन सरकार द्वारा सिर्फ झूठे आश्वासन दिए जा रहे थे.
इस घटना को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर से शिवराज सरकार का घेराव करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने कहा कि एक और अतिथि शिक्षक ने आत्महत्या की :
रतलाम के छत्री गांव में कार्यरत अतिथि शिक्षक राजेंद्र पाटीदार ने उसी स्कूल में फांसी लगाई जिसमें वह पढ़ाते थे, तीन दिन में अतिथि शिक्षक द्वारा आत्महत्या का यह दूसरा मामला।
शिवराज जी,
नियुक्ति दीजिए, आत्महत्या नहीं।
बताते चलें कि मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर ही सरकार बनी थी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि अगर अतिथि शिक्षकों के हित में फैसला नहीं लिया जाता है तो वह सड़कों पर उतरेंगे. और फिर वह अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होंगे लेकिन अतिथि शिक्षकों की स्थिति जस की तस है वह आज भी सड़कों पर हैं.
आगे देखना होगा कि सरकार की क्या प्रतिक्रिया रहती है