भोपाल :- अतिथि विद्वानों को है सीएम पर भरोसा, "शिव राज" के "राज" में हो सकता है इनका नियमितीकरण !

भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव :- प्रदेश के सरकारी कालेजों में कार्यरत अतिथिविद्वानों ने सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को कोरोनासंकट के इस दौर में हरसंभव सहयोग करने की बात कही गयी है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मोर्चा की ओर से बोलते हुए प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमारे नियमितीकरण के संघर्ष में एक महान सहयोगी के रूप में सामने आए है। कांग्रेस सरकार के समय नियमितीकरण हेतु चल रहे शाहजाहानी पार्क के चर्चित नियमितीकरण के आंदोलन में आदरणीय शिवराज सिंह चौहान ने मंच पर आकर अपना आशीर्वाद और समर्थंन प्रदान किया था। उनके द्वारा दिये गए संबल से अतिथिविद्वानों के अंदर निःसंदेह एक नई ऊर्जा का संचार किया था। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा कि मुख्यमंन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथिविद्वानों के मंच से कहा था कि अतिथिविद्वान नियमितीकरण के मोर्चे पर अपने आप को अकेला न समझें, टाइगर अभी ज़िंदा है। यही नही माननीय मुख्यमंत्रीजी के निर्देश पर ही तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ नरोत्तम मिश्रा भी अतिथिविद्वानों के बीच पहुँच कर अतिथिविद्वानों का हौसला बढ़ाया था तथा विधानसभा में अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण के संबंध में प्रश्न उठाकर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर चर्चित कर दिया था।
कोरोना संकट के दौर में अतिथिविद्वानों ने की जल्द मानदेय भुगतान की मांग:-
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान ने प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि कोरोना संकट में इस दौर में सरकार के प्रत्येक संघर्ष में अतिथिविद्वान कदम से कदम मिलाकर सहयोग कर रहे हैं। चाहे कालेजों में विद्यार्थियों को परीक्षा हेतु ऑनलाइन अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवाना हो या कोरोना संकट के दौरान सुरक्षा उपायों की जानकारी देना हो, अतिथिविद्वान प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने हेतु कृतसंकल्पित है। किंतु कोरोना संकट अपने साथ साथ भयंकर आर्थिक विसंगतियां भी लेकर आया है। इसलिए अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा सूबे के लोकप्रिय मुख्यमंन्त्री से आग्रह करता है कि वे अविलंब फालेन आउट  अतिथिविद्वानों को सेवा में वापस लें तथा मानदेय भुगतान की व्यवस्था करवाने की कृपा करें जिससे अतिथिविद्वान अपने परिवार के भरण पोषण की चिंता से मुक्त होकर कोरोना महामारी से संघर्ष में अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकें। क्योंकि अतिथिविद्वानों की खराब आर्थिक स्थिति न सिर्फ उनके परिवार के लिए भयावह आर्थिक परिस्थितियां उत्पन्न कर रही है बल्कि कोरोना से संघर्ष की उनकी प्रतिबद्धता व हौसले को भी प्रभावित कर रही है। खराब आर्थिक हालात के कारण कोरोनाकाल मे ही कई अतिथिविद्वानों द्वारा आत्महत्या तक कर ली गई जो कि इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि अतिथिविद्वान अपने अनिश्चित भविष्य और खराब माली हालत के कारण किस प्रकार तनावग्रस्त हो रहे है।


फालेन आउट अतिथिविद्वान कर रहे है चयन सूची की प्रतीक्षा:-
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने कहा है कि प्रदेश के सरकारी कालेजों में दशकों से अपनी सेवाएं दे रहे लगभग 1500 अतिथिविद्वान, कालेजों में नियमित नियुक्ति होने से प्रभावित हुए थे तथा ये लोग अपनी नौकरी से फालेन आउट कर दिए गए थे। ये फालेन आउट अतिथिविद्वान विगत दिसम्बर 19 से सरकार द्वारा जारी की गई पुनः नियुक्ति की प्रक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे थे। किंतु कोरोना संकट ने लगभग तैयार हो चुकी चयन सूची को रोक दिया जिससे लगभग 1500 अतिथिविद्वान आज भी बेरोजगार है व सरकार से जल्द चयन सूची जारी करने की मांग कर रहे हैं। अवसाद और आर्थिक बदहाली में जान गवां रहे हैं।2 दो महीने में तीन अतिथि विद्वान अकेले शहडोल सम्भाग में जान दे चुके हैं। संजय कुमार की आत्महत्या पर स्वयं शिवराजसिंह जी ने ट्वीट कर गहरी संवेदना व्यक्त की थी।एवं अतिति विद्वान परिवार को अपना परिवार बताया था। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा ने प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंन्त्री से मांग की है कि जल्द लंबित चयन सूची के प्रकाशन कर फालेन आउट अतिथिविद्वानों को पुनः सेवा में वापस लेने की कृपा करें, जिससे बेरोजगार हुए इन अतिथिविद्वानों को एक बार फिर से सेवा में बहाल किया जा सके।

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