जो पढ़ सकता है वो लड़ सकता है,यही प्रकृति का नियम है
- भारत भवन में नाटक 'पहला अध्यापक' का मंचन हुआ
- चक्रेश कुमार के निर्देशन में अलंकार थिएटर, चंडीगढ़ की प्रस्तुति
- अशिक्षा और पिछड़ी मानसिकता से लड़ाई का संदेश देता है 'पहला अध्यापक'
विशाल वर्मा/भोपाल। भारत भवन में सात दिवसीय नाट्यरूप के छठे दिन नाटक 'पहला अध्यापक' का मंचन हुआ। जिसका निर्देशन चक्रेश कुमार ने किया। यह प्रस्तुति अलंकार थिएटर, चंडीगढ़ द्वारा दी गई।
क्या है नाटक की कहानी?
नाटक 'पहला अध्यापक' एक शिक्षक रामेश्वर के संघर्ष की कहानी कहता है। जो उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में अध्यापन के लिए आया है। मगर स्थानीय लोगों से उसे कोई मदद नहीं मिल पाती। वह बच्चों को शिक्षित करना चाहता है। उन्हीं बच्चों में से एक संगीता नाम की अनाथ लड़की है। जिसे निकिता परिहार ने निभाया। वह अपने चाचा-चाची की पिछड़ी मानसिकता के चंगुल में फँसी हुई है। आलम ऐसा है कि एक बूढ़े आदमी से उसका विवाह भी करा दिया जाता है। शिक्षक कैसे कठिनाइयों का सामना करते हुए संगीता को सफलता की राह पर भेजता है। इसी दिशा में नाटक आगे बढ़ता है।
गौरतलब है कि यह नाटक रूसी लेखक 'चिंगिज़ एतमातोव' की एक किताब पर आधारित है। जिसका रूपांतरण निर्देशक चक्रेश कुमार की पत्नी मंजू द्वारा किया गया है। बकौल निर्देशक यह नाटक का 57वां शो था।
क्या रही नाटक की खास बात?
1) रूसी और हिंदी किरदार की मंच पर एक साथ मौजूदगी
2) चाचा-चाची और संगीता का अभिनय
3) गाँव वालों के किरदार निभा रहे कलाकारों की कॉमिक टाइमिंग
4) नाटक के अंत में पाश की कविता 'हम लड़ेंगे साथी' का खूबसूरत प्रयोग
इन कलाकारों ने किया अभिनय-
निकिता परिहार, प्रतीक बोरा, अजय नागरा, कोमल मचल, आयुष कल्याण, निखिल धारिया, अम्बर मेहता, राजेश सिंह, अंजू जांघू, प्रज्जवल कुमार श्रीवास्तव, रामनिश कुमार, शिवम काम्बोज, हरमनदीप सिंह, राजेश, अराव नेहरा और एंग्लिका पिपलानी
संगीत और प्रकाश का संचालन क्रमशः हिमांशु अनेजा और त्रिशभ शर्मा ने किया। मंच प्रबंधक के रूप में यशपाल थिंड मौजूद रहे।