आंदोलित किसानों ने रखी केंद्र के सामने ये तीन शर्तें, पांच दौर की वार्ताएं रही बेनतीजा

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन करीब 20 दिनों से जारी हैं। किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले। वहीं, सरकार संशोधन के लिए तैयार हैं। सरकार का साफ कहना है कि वो तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं, जिसके कारण टकराव बढ़ता जा रहा हैं। सरकार की ओर से किसानों को समझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की। इस दौरान
आंदोलित किसानों ने कहा है कि वह सरकार से बातचीत करने को तैयार है लेकिन उनकी कुछ शर्तें होंगी।
- पहली- बातचीत पुराने प्रस्तावों पर नहीं हो सकती है, जिसे कृषि संघ पहले ही खारिज कर चुके हैं।
- दूसरी- सरकार को एक नया एजेंडा तैयार करना चाहिए।
- तीसरा- बातचीत कृषि कानूनों को निरस्त करने पर केंद्रित होनी चाहिए।
बता दे कि केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई पांच दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।
इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में हैं। सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार हैं। किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं।
वहीं, एआईकेएससीसी के सचिव अविक साहा ने कहा कि सरकार बार-बार खारिज किए गए तर्क को सामने ला रही है. किसान वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन तीनों कृषि अधिनियमों और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेना होगा। इसके अलावा पंजाब के ज्यादातर किसान भी तीन कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने का दबाव बना रहे हैं उनका कहना है कि फिर से बातचीत शुरू करने के लिए तीन आश्वासनों की जरूरत हैं।