मंदसौर गोलीकांड की तरह गोली खाने को तैयार हैं यहां के सैकड़ों किसान
क्या है पूरा मामला पढ़े थे लोकनीति की स्पेशल रिपोर्ट
आखिर क्यों पिछले 8 माह से किसानों के साथ हो रहा अत्याचार
सिहोरा
मंदसौर गोलीकांड तो आपको याद ही होगी। जिसमें शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चला दी थी। इस घटना में 6 किसानों की मौत हो गई। इस मामले को लेकर किसान संघों ने जबरदस्त आंदोलन किया था। दो माह बाद में विधानसभा चुनाव में शिवराज सत्ता से बेदखल हो गई थी। वर्तमान में मध्यप्रदेश में फिर शिवराज सरकार है। प्रदेश में सरकार तो बदली, लेकिन किसानों की समस्याएं जस की तस हैं। जबलपुर जिले में वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य की खरीदी के दौरान 8 माह बाद 1613 किसानों का करीब 24 करोड़ का भुगतान नहीं हुआ है। जिसको लेकर किसानों में भारी आक्रोश है। अपना दर्द और आक्रोश बताते हुए किसानों ने कहा कि मंदसौर गोलीकांड की तरह वह भी गोली खाने को तैयार है लेकिन वह अपना हक (बेची गई धान का मूल्य) लेकर रहेंगे।
यह पूरा मामला : फरवरी-मार्च 2019-20 जबलपुर जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी समितियों के माध्यम से विपणन संघ ने की थी। इसके लिए बाकायदा ग्रेडर नियुक्त कर ऐसे क्यों मानक की जांच के बाद किसानों की धान खरीदी गई और इसे भंडारण के लिए वेयरहाउस में भेज दिया गया। भंडारण के दौरान शासन के नुमाइंदों ने जांच के नाम पर 1613 किसानों की धान को रिजेक्शन (अमान्य) में डाल दिया। समिति के प्रबंधकों से कहा गया कि इस रिजेक्शन धान को अपग्रेड (छन्ना) लगाकर साफ कर ओपन कैप में जमा करें, लेकिन प्रबंधकों ने इसमें भारी लापरवाही की और धान को बिना अपग्रेड किए ही ओपन कैप में जमा करवा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि किसानों को धान का 24 करोड़ भुगतान ही नहीं हुआ। सिहोरा और मझौली तहसील के किसान भुगतान के लिए यहां से वहां भटकते रहे।
कलेक्टर से मिला सिर्फ आश्वासन, फिर किया डीएमओ कार्यालय का घेराव :
करीब 24 करोड़ रुपया के धान के भुगतान नहीं होने पर सिहोरा और मझौली तहसील के किसानों ने अपनी व्यथा और परेशानी जबलपुर कलेक्टर भारत यादव को बताई। कलेक्टर ने सिर्फ किसानों को इतना आश्वासन दिया कि जल्द धान का भुगतान हो जाएगा। आखिरकार जब किसानों का सब्र जवाब दे दिया तो उन्होंने 2 जुलाई 2020 को जबलपुर डीएमओ विवेक तिवारी के कार्यालय का घेराव कर दिया। लेकिन इतना सब कुछ करने के बावजूद किसानों का पैसा उनके खातों में नहीं पहुंचा।
सरकार को नहीं किसानों की चिंता, सीने पर गोली खाने के लिए हम भी तैयार : सोमवार को सिहोरा और मझौली तहसील के सैकड़ों किसान भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सिहोरा एसडीएम चंद्र प्रताप गोयल के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे। एसडीएम ने भी किसानों को सिर्फ इतना आश्वासन दिया कि एक सप्ताह के अंदर उनका पैसा खाते में आ जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष रमेश पटेल का कहना था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसानों की कोई चिंता नहीं है वह तो सिर्फ सरकार बचाने में लगे हैं। शिव तो हैं लेकिन उनका राज कहीं दिख नहीं रहा हैं। उन्हें तो सिर्फ इस बात की चिंता सता रही है कि उपचुनाव में किस तरीके से जीता जाए और सरकार प्रदेश में बनी रहे अन्नदाता किसान से उन्हें कोई सरोकार नहीं। भारतीय किसान यूनियन की संभागीय अध्यक्ष संतोष राय ने कहा कि कि लगता है अब हम किसानों को मंदसौर गोलीकांड की तरह है सीने पर गोली खाने के बाद ही पैसा मिलेगा। धान खरीदी के दौरान जब शासन ने ग्रेडर नियुक्त किया था और ऐसे क्यों मानक के आधार पर ही धान खरीद कर उसकी पर्ची दी गई थी तो धान रिजेक्शन में कैसे डाल दी गई। सारे अधिकारी भ्रष्ट इस भ्रष्टाचार में मिले हुए। संघ के जिला महामंत्री सुनील जैन कहते ने बताया कि अब तो हम लोग हाई कोर्ट में याचिका ही लगाएंगे सरकार से न्याय की कोई उम्मीद नहीं है न्यायपालिका ही अब हमें न्याय मिलने की आखिरी उम्मीद दिख रही है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
सिहोरा और मझौली तहसील के करीब 360 किसानों कि वर्ष 2019 में खरीदी गई धान के भुगतान को लेकर किसानों ने मुझ से मुलाकात की। मैंने किसानों को यही आश्वासन दिया कि एक सप्ताह में उनका भुगतान हो जाएगा।
चंद्र प्रताप गोहिल, एसडीएम सिहोरा
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