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आखिर कब तक इन नेताओ के नाकामियों से शर्मसार होती रहेंगी हमारी बेटियां ?

हैदराबाद की घटना ने इंसानियत के मर्यादा को तार तार कर दिया है| अभी देश इस घटना से उबर नहीं पाया था की झारखण्ड की राजधानी रांची में एक और शर्मसार करने वाली घटना हो गई| अगर बात करें सरकार के फैसलों पर की इतने घिनौने हरकत के बाद सरकार अपना क्या रुख अपनाती है तो एक नजर डालते है की सरकार का कब और क्या फैसला रहा है जिसके लिए शुरुआत करते है मनमोहन सरकार से |

2004 में आखिरी बार रेपिस्ट को हुई थी फांसी बलात्कारियों को सख्त सजा की हो रही है मांग

हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ जो हुआ, उससे हिंदुस्तान के हर नागरिक की ऑंखें नम हो गई है|  देश में एक बार फिर नारी शक्ति की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं, लोग इंसाफ के लिए सड़कों पर हैं और गुनाहगारों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं| हालांकि ये गुहार तो लगा रहें है, लेकिन क्या इन्हे पता है की हिंदुस्तान में आखिरी बार कब किसी रेपिस्ट को फांसी की सज़ा दी गई थी या अभी हमारे देश में कितने रेप हुए है| 

14 अगस्त, 2004.

यही वो तारीख है जब किसी रेपिस्ट को आखिरी बार फांसी की सजा दी गई थी| नाबालिग छात्रा का रेप कर उसकी हत्या करने के जुर्म में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी| धनंजय को कोलकाता के अलीपुर जेल में फांसी दी गई थी| इस बात को 15 साल हो गए हैं. तब से लेकर आज तक देश में 4 लाख से अधिक रेप केस दर्ज हुए हैं|

धनंजय चटर्जी को जब फांसी हुई, तब केंद्र में नई-नई यूपीए की सरकार आई थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे| डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे, धनंजय चटर्जी ने राष्ट्रपति के सामने फांसी से छूट की गुहार भी लगाई थी लेकिन राष्ट्रपति ने उसे ठुकरा दिया.

महाराष्ट्र में जब सत्ता का खेल चल रहा था, उस दरम्यान ही हैदराबाद में रेप की घटना सामने आई. लेकिन हुआ  कुछ नहीं क्योंकि सत्ता के खेल के बीच इस दरिंदगी का खेल फीका पड़ गया | अब एक बार फिर हर कोई इंसाफ की गुहार लगा रहा है, किसी फैसले की मांग कर रहा है.

निर्भया केस से भी नहीं बदला देश?

सात साल पहले 2012 में जब पूरा देश गुस्से में था, तब निर्भया केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा गया, हालांकि फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सिर्फ 9 महीने के अंदर अपना फैसला भी सुना दिया| 13 सितंबर 2013 से निर्भया के गुनाहगारों को फांसी देने का वो फैसला आज छह साल बाद भी पूरा नहीं हुआ| 

निर्भया के बाद कठुआ की गुड़िया का केस आया, इतना ही नहीं मुंबई की शक्ति मिल्स में गैंगरेप,2010 में दिल्ली में एक और रेप हुआ, मध्य प्रदेश में छोटी बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया. इसी तरह कई मामले सामने आते गए लेकिन किसी को फांसी नहीं दी गई, हालांकि कुछ मामलों में उम्रकैद जैसी सजा भी दी गई.

रुला देने वाली हैं, देश में रेप के आंकड़े…

देश में हर साल 40 हज़ार, हर रोज़ 109 और हर घंटे 5 लड़कियों की अस्मत लूट ली जाती है| इस देश में सरकार की नाकामी से जीडीपी रेट गिर जाती है मगर काश कभी ऐसा हो की इनके अच्छे काम से रेप के मामलों में कमी आई हो.

  • पिछले 10 साल में करीब 2.79 लाख रेप के मामले दर्ज किए गए
  • औसतन 40 हज़ार में से 10 हज़ार रेप के मामले नाबालिग बच्चियों के थे
  • हर साल 2000 ऐसे मामले होते हैं जिनमें पीड़िता का गैंगरेप किया गया
  • रेप के मामलों में सिर्फ 25 फीसदी बलात्कारियों को ही सज़ा मिल पाती है  
  • रेप के 71 फीसदी मामले तो ऐसे हैं जिन्हें रिपोर्ट ही नहीं किया जाता है

खैर छोड़िये इन दरिंदों को यहां तो देश की लोकसभा और विधानसभा में बैठे 30 फीसदी नेताओं का आपराधिक रिकार्ड ऐसा है, जिनमें 51 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध किए जाने के मामले दर्ज हैं. 4 नेता तो ऐसे हैं जिनपर सीधे रेप के ही मामले चल रहे हैं| 

दुनिया में रेप के आरोपियों को सज़ा

  • सऊदी अरब में रेप के दोषी का सिर क़लम कर दिया जाता है
  • रेप के दोषी को अमेरिका में ज़हरीला इंजेक्शन देकर मार देते हैं 
  • यूएई में बलात्कारी को एक हफ्ते में ही फांसी दे दी जाती है
  • चीन में डीएनए मैच के बाद सीधा फांसी पर लटका दिया जाता है 
  • इंडोनेशिया में रेपिस्ट का गुप्तांग काट करे शरीर में महिलाओं के हार्मोंस डाल देते हैं
  • उत्तर कोरिया में दोष सिद्ध होने पर सिर में गोली मारी जाती है
  • जर्मनी में गैस चेंबर में डालकर बलात्कारियों को मौत दी जाती है 
  • कई देशों में इलेक्ट्रिक चेयर पर 2 हज़ार वोल्ट का करंट दिया जाता है

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