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राम -रासुका ,राम मंदिर जनआंदोलन औऱ कारसेवकों के जेलों की कुछ पुरानी यादें..एक नजऱ जरूरी

राम -रासुका ,राम मंदिर जनआंदोलन औऱ कारसेवकों के जेलों की कुछ पुरानी यादें..एक नजऱ जरूरी

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर जोरों शोरों से तैयारी चल रही है बता दें कल 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर की भूमि पूजन पर पूरे विश्व के नजरें होंगी क्योंकि यह मामला सदियों पुराना है जो अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बनने जा रहा है 

कुर्बानियों के बाद भी कारसेवकों को नहीं मिला 
सम्मान


राम मंदिर को लेकर कई आंदोलन हुए उनमें से हम आपको खास बातें साझा कर रहें हैं

 राम मंदिर आंदोलन वास्तव में एक जन आंदोलन था। न सड़क पर नारे लगाते हुए जुलूस निकालने में डर, न ही जेल जाने का। अयोध्या में मंदिर के लिए एक माहौल बन गया था। बड़ी संख्या में लोग जेल भेज दिए गए थे तो वहां भी श्रीराम जय राम, जय-जय राम का मंत्र दिन भर गूंजता था। दिन में कबड्डी, शाम को गीत-संगीत के कार्यक्रम होते थे। कारसेवकों ने जेल के अंदर दीवारों पर दातून से श्रीराम के जयकारे और राम मंदिर की पेंटिंग बना दी थीं।

जेल भर गईं तो स्कूल-कॉलेजों को बनाया जेल

राम मंदिर के लिए शुरू हुए आंदोलन के दौरान गिरफ्तारियों का दौर शुरू हुआ तो बड़ी संख्या में लोग जेल भेजे गए। किसी ने जुलूस निकालते हुए गिरफ्तारी दी तो किसी को घर से गिरफ्तार कर लिया गया। बहुत से लोगों को जेलों में रखा गया तो कइयों को अस्थाई जेलों में। ज्यादातर स्कूल, कॉलेजों को जेलों में बदल दिया गया था। कई बार विधायक रहे राकेश सोनकर के मुताबिक संख्या बल अधिक था तो सुबह-सुबह जेल में शाखा भी लग जाती थी। जेल के अधिकारी भी उसे नजरअंदाज करते थे।
दिन में किसी भी समय श्रीराम जय राम, जय-जय राम मंत्र का जप होने लगता था। जब ऐसा होता तो तमाम और कैदी भी राम मंदिर आंदोलन में गिरफ्तार कारसेवकों के साथ जप करने लगते थे। 1989-90 के दौर में गिरफ्तार लोगों को कैदियों की तरह ही भोजन मिलता था जिस पर उन्हें कई बार हंगामा करना पड़ा। अयोध्या जाते समय एक बार रास्ते में गिरफ्तार कर एक स्कूल में रखा गया था।

मीसा लगाने की तैयारी में थी पुलिस


वरिष्ठ भाजपा नेता नीरज दीक्षित के मुताबिक उन्होंने पूर्व सांसद जगतवीर सिंह द्रोण के साथ गिरफ्तारी दी थी। उन लोगों के साथ कानपुर और आसपास के तमाम लोगों को फतेहगढ़ में क्राइस्ट चर्च कालेज स्थित खुली जेल में रखा गया था। जगतवीर सिंह द्रोण पर मीसा लगाने की तैयारी पुलिस कर रही थी, इसलिए मूलगंज थाने से अक्सर एक दारोगा वहां आकर उनके बारे में पूछता था। हर बार वहां कार्यकर्ता झूठ बोलकर कि वह वहां नहीं हैं, लौटा देते थे।

दिन में कबड्डी और शाम को संगीत संध्या

पार्षद नवीन पंडित कई बार जेल गए और उन पर रासुका तक लगाई गई। उनके अनुसार लगता ही नहीं था कि जेल में हैं। फतेहगढ़ जेल में कई बार सेना वाले खुद खाना ले आते थे। फर्रुखाबाद के लोग नमकीन व मिठाई लेकर आते थे। दिन में कबड्डी खेलते थे तो शाम को संगीत संध्या होती थी। वहां बालचंद्र मिश्रा, नीरज चतुुर्वेदी, गोपाल अवस्थी, श्याम बाबू गुप्ता जैसे लोग भी थे। गोविंद नगर के ऋषि अरोड़ा ने दातून से जेल के अंदर ही श्रीराम के जयकारे लिख दिए थे। इसके अलावा राम मंदिर के गुंबद भी बनाया करते थे। युवा गीत सुनाते थे। जब सभी लोग जेल से छूट गए तो वह और उनके एक और साथी जेल में बचे थे क्योंकि उन पर रासुका लगी थी। तब अटल बिहारी वाजपेयी उनसे मिलने आए थे। उन्होंने कहा था कि जिस दिन भाजपा की सरकार बनेगी उस दिन उनकी रासुका खत्म हो जाएगी। 1991 में कल्याण सिंह की सरकार बनते ही पहले दिन उनकी रासुका को खत्म करने का निर्णय लिया गया

क्या होती हैं रासुका ..????


रासुका ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है, जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो.

अधिसूचना के मुताबिक उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा तीन की उपधारा (3) का इस्तेमाल करते हुए 19 जनवरी से 18 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया.

1980 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान बने इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के केवल संदेह के आधार पर न्यूनतम तीन महीने से लेकर अधिकतम एक साल के लिए हिरासत में रखा जा सकता है.

इस बीच उसे यह जानकारी देना अनिवार्य नहीं होता कि उसे किस आधार पर हिरासत में लिया गया है. यह व्यक्ति उच्च न्यायालय के एक सलाहकार बोर्ड में अपील कर सकता है, लेकिन उन्हें वकील की सुविधा नहीं दी जाती.

साथ ही, अगर अथॉरिटी को यह लगता है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, वे उसे महीनों तक ‘एहतियातन हिरासत’ [preventive detention] में रख सकते हैं.

जिस राज्य का यह मामला होता है, वहां की सरकार को यह सूचित करना होता है कि किसी व्यक्ति को रासुका के तहत हिरासत में रखा गया है.

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